India Love Project : धर्म और जाति से परे रियल लव स्टोरीज को सेलिब्रेट कर रहा यह मंच
‘न उम्र की सीमा हो, न जन्मों का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन’। अपने समय की ब्लॉक बस्टर मूवी प्रेमगीत के इस मशहूर नगमे में प्रेम को समाज के तमाम रवायतों और बंदिशों से ऊपर बताया गया है। पर जनाब असल जिंदगी की हकीकत इससे उल्टी है।
रियल लाइफ में मोहब्बत को जाति, धर्म जैसे तमाम बंदिशों के तेजाबी दरिया से होकर गुजरना होता है। जी हां पढ़े लिखे समाज का साफ सुथरा दिखने वाला चेहरा कुछ ऐसा है।
21वीं सदी में इंसान चांद पर पहुंच गया है लेकिन जाति और धर्म के बाहर की शादियां आज भी सामाजिक मान्यता के लिए सबसे नीची पायदान पर खड़ी मिलेंगी। ऐसे प्यार और शादियों को लेकर समाज के तथाकथित सरपरस्तों की निगाहें आज भी टेढ़ी ही हैं
लेकिन इंस्टाग्राम पर ऐसी शादियों को सेलिब्रेट करने की एक मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम में जाति, धर्म, मान्यताओं, नस्ल और लैंगिकता की बेडियों से ऊपर प्यार को रखा गया। इस मुहिम का नाम है ‘इंडिया लव प्रोजेक्ट‘।
यह प्रोजेक्ट एक पत्रकार दंपति समर हलरंकर और प्रिया रमानी और उनकी पत्रकार-लेखक दोस्त निलोफर वेंकटरमन द्वारा शुरू किया है। इसका मकसद सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर प्यार और शादी करने वाले जोड़ों की कहानियों को सेलिब्रेट करना है।
‘इंडिया लव प्रोजेक्ट‘ नाम से एक इंस्टाग्राम अकांउट भी है। इस बारे में समर हलरंकर बताते है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए हम सिर्फ एक मंच उपलब्ध करा रहे हैं जहां लोग अपनी कहानियां साझा कर सकें।
समर हलरंकर ने बताया, “हम इस प्रोजेक्ट के बारे में पिछले एक साल से ज़्यादा समय से सोच रहे थे और तनिष्क के विज्ञापन पर विवाद होने के बाद हमें लगा कि अब इसका सही समय आ गया है।”
एक एड से मचा था बवाल-
हाल ही में भारतीय आभूषण ब्रैंड तनिष्क का एक एड खूब सुर्खियों में आया था। उसमें दिखाया गया था कि एक मुस्लिम परिवार अपनी हिंदु बहू की गोद भराई की रस्म का आयोजन करता है जिसे देखकर उनकी बहू बहुत खुश हो जाती है।
कंपनी की कोशिश थी विज्ञापन के जरिए एकता बढ़ाना। लेकिन इस एड को बड़े स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ा था। कट्टरवादियों का कहना था कि यह एड लव जिहाद को बढ़ावा दे रहा है। विरोध करने वालों में अधिकतर कट्टरवादी हिंदू समूह शामिल थे।
इसके बाद तनिष्क के बहिष्कार की अपील की गई और ये ट्विटर पर ट्रॉप ट्रेंड बन गया। विवाद बढ़ता देख कंपनी ने कहा कि उसने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुए विज्ञापन वापस ले लिया है।
यहां देखें वो एड जिस पर मचा था बवाल-
https://youtu.be/jnfxtq7DWwg
बता दें कि ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल ऐसी स्थिति के लिए किया जाता है जिसमें मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों से केवल इसलिए शादी करते हैं ताकि उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराया जा सके।
इस प्रोजेक्ट की शुरूआत 28 अक्टूबर को निलोफर वेंकेटरमण की पारसी मां बख्तावर मास्टर और हिंदू पिता एस वेंकटरमण की कहानी से हुई। अब इस पर हर दिन एक कहानी शेयर होती है।
नई नहीं है अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियां-
समर हलरंकर कहते हैं, “हर दिन लोग हमसे संपर्क करके कह रहे हैं कि वो अपनी, अपने माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी की कहानी शेयर करना चाहते हैं।” उनका कहना है कि इससे यह मालूम पड़ता है कि अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियां भारत में नई नहीं हैं।
इंडिया लव प्रोजेक्ट में इन निजी कहानियों के ज़रिए ‘नफरत’ की इस धारणा को चुनौती दी जी रही है। लोग 150 शब्दों में प्यार और हंसी-मज़ाक के साथ अपनी कहानियां बताते हैं और ये दिखाते हैं कि मानव-निर्मित बेड़ियां प्यार के आड़े नहीं आ सकतीं।
भारत में 90 प्रतिशत शादियां अरेंज्ड होती है। भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण के मुताबिक, केवल पांच प्रतिशत शादियां ही अंतरजातीय होती हैं। अंतरधार्मिक शादियां अब भी दुर्लभ बनी हुई हैं एक अध्ययन इन्हें 2.2 प्रतिशत के करीब बताता है।
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