आज ही के दिन इन दो जगहों के बीच चली थी भारत की पहली रेलगाड़ी, ऐसा है इतिहास
भारत में रेलगाड़ी को लाने का श्रेय अंग्रेजों को जाता है. भले ही अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए भारत में रेल की शुरुआत की, मगर इसका सबसे बड़ा लाभ भारतीयों को मिला. वहीं, दुनिया के सबसे बड़े इनवेंशन में रेलगाड़ी के आविष्कार को पहले गिना जाता है. रेल तंत्र ने राज्य के साथ छोटे-छोटे शहरों को भी आपस में जोड़ने का काम किया. अब सवाल ये है कि भारत में सबसे पहली रेलगाड़ी कब और कहां चली थी? तो इसका जवाब देने लिए हम इस लेख में देंगे और रेलगाड़ी के इतिहास से जुड़ी जानकारियां साझा करेंगे.
हालांकि, ज्यादातर लोगों को पता है कि भारत में पहली रेलगाड़ी 16 अप्रैल, 1853 को बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की दूरी पर चली थी. यह साहिब, सुल्तान और सिंध नामक तीन इंजनों द्वारा संचालित की गई थी. लेकिन ऐसा नहीं है, आपको जानकर हैरान होगी कि भारत में इससे 2 वर्ष पहले ही रेलगाड़ी की शुरुआत हो चुकी थी. ये रेलगाड़ी 22 दिसंबर, 1851 को उत्तराखंड के रुड़की और पिरान कलियर के बीच चली थी. लेकिन, वो एक मालगाड़ी थी. वहीं, इसके 2 साल बाद ही वर्ष 1853 में पहली पैसेंजर ट्रेन चली थी.
दरअसल, किसानों की सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए अंग्रेजों द्वारा एक नहर निर्माण की योजना बनाई गयी थी. ये नहर गंगा नदी से निकलती थी और इसके लिए बहुत-सी मिट्टी की जरूरत थी. इस योजना के मुख्य इंजीनियर थॉमसन थे, जिन्होंने रुड़की से 10 किलोमीटर दूर पिरान कलियर से मिट्टी लाने के लिए एक रेल इंजन मंगवाया था.
रेलगाड़ी के इंजन के साथ दो बोगियां जोड़ी गईं थी, जो 200 टन का वजन झेल सकती थीं. वहीं, रुड़की से पिरान कलियर का 10 किलोमीटर का सफर ये रेलगाड़ी चार मील प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 38 मिनट में पूरा किया करती थी. इस रेलगाड़ी ने करीब 9 महीनों तक काम किया था. वर्ष 1852 में एक दुर्घटना में इस रेलगाड़ी के इंजन में आग लग गई थी. हालांकि, तब तक नहर का काम पूरा हो चुका था.
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