मेधा के जल सत्याग्रह का तीसरा दिन…

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सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के डूब में आ रहे 40 हजार परिवारों के हक की लड़ाई लड़ रही नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के नेतृत्व में चल रहा जल सत्याग्रह रविवार को तीसरे दिन भी जारी है।

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इसके चलते 40 हजार परिवारों को अपने घर, गांव छोड़ने पड़ेंगे

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात में सरदार सरोवर बांध का उद्धाटन किया है। बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश के 192 गांव और एक नगर डूब क्षेत्र में आ रहे हैं, क्योंकि बैक वाटर इन्हीं गांवों में भरने लगा हैं। इसके चलते 40 हजार परिवारों को अपने घर, गांव छोड़ने पड़ेंगे।

अन्यायपूर्ण कृत्य के विरोध में उनका जल सत्याग्रह चल रहा है

मेधा पाटकर का आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद प्रभावितों को न तो मुआवजा दिया गया है और न ही उनका बेहतर पुनर्वास किया गया है। उसके बावजूद बांध का जलस्तर बढ़ाया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के इस अन्यायपूर्ण कृत्य के विरोध में उनका जल सत्याग्रह चल रहा है।

जलसत्याग्रह का तीसरा दिन है

मेधा लगभग 30 लोगों के साथ शुक्रवार दोपहर से छोटा बरदा गांव के नर्मदा घाट की सीढ़ी पर बैठी हैं, जहां पानी लगातार बढ़ रहा है। रविवार को जलसत्याग्रह का तीसरा दिन है। वहां हजारों की संख्या में बांध प्रभावित पहुंच रहे हैं।

सरदार सरोवर बांध में पानी का भराव रोका जाना चाहिए

मेधा की मांग है कि पुनर्वास पूरा होने तक सरदार सरोवर बांध में पानी का भराव रोका जाना चाहिए। उनका कहना है कि यह भराव गुजरात के चुनाव में लाभ पाने के लिए मध्य प्रदेश के हजारों परिवारों की जिंदगी को दांव पर लगाकर किया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

प्रशासन ने अपनी ओर से सारे इंतजाम कर रखे हैं

वहीं, इंदौर संभाग के संभागायुक्त संजय दुबे ने आईएएनएस से कहा कि आंदोलनकारी सीढ़ियों पर पैर डाले बैठे हैं और जब मीडिया के लोग पहुंचते है तो खुद को और नीचे उतारकर फोटो खिंचवा लेते हैं। जहां तक निसरपुर का सवाल है तो निचले हिस्से में कुछ पानी आया है, लेकिन कोई भी हिस्सा टापू में नहीं बदला है। प्रशासन ने अपनी ओर से सारे इंतजाम कर रखे हैं।

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