#BharatBandh : यूपी के कई जिलों में दिखा बंद का असर, आगरा में आगजनी
एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्णों ने गुरुवार को (6 सितंबर) भारत बंद किया है। जिसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हाईअलर्ट जारी किया गया था। ताजनगरी आगरा में सवर्णों का उग्र विरोध प्रदर्शन दिखाई दिया। पहले तो पैसेंजर ट्रेन रोकी गई। बाद में पिनाहट इलाके में हालात बेकाबू हो गए। यहां सवर्ण समाज और अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग आमने-सामने आ गए।
यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा जलेसर मार्ग पर भी कब्जा
जिसके बाद दोनों तरफ से जमकर पत्थरबाजी हुई। यहीं नहीं वाहनों में तोड़फोड़ की गई और पुलिस पर पथराव हुआ। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस ने भी लाठीचार्ज कर उपद्रवियों को खदेड़ा। खंदौली इलाके में प्रदर्शनकारी यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा जलेसर मार्ग पर भी कब्जा कर लिया। बवाल की सूचना पर डीआईजी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा।
प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर पथराव किया
वहीं खेरागढ़ कस्बे से लेकर गांव तक में लोगों में गुस्सा दिखा। भारत बंद के अंतर्गत लोगों ने प्रतिष्ठान, कार्यालय यहां तक की पेट्रोल पंप तक बंद कर दिए हैं। सैंया तिराहे पर लोगों ने केंद्र सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए प्राइवेट बस के शीशे तोड़ दिए। गुस्साए लोगों ने अपना सारा आक्रोश बस पर निकाला। इतनी ही देर में पुलिस बल मौके पर पहुंच गया और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। विरोध में प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर पथराव किया।
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वहीं प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बंद का असर देखने को मिला। वाराणसी के बीएचयू में प्रदर्शनकारी छात्रों ने हैदराबाद गेट पर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंका। छात्रों की मांग है कि एसटीएसटी एक्ट में हुए संशोधन को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वापस बहाल नहीं किया तो 2019 में मोदी को वाराणसी और केंद्र में इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा।
ये है वबाल की वजह
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि इसके अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी। इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं।
विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे की सरकार ने कोर्ट में दलील ठीक ढंग से नहीं रखी जिसकी वजह से कानून कमजोर हुआ अब फिर दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था इस दौरान जमकर हिंसा हुई थी।
विरोध में सवर्ण वर्ग ने आवाज उठानी शुरू कर दी है
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले बीजेपी सांसदों ने भी विरोध में आवाज उठाई थी और अपनी ही सरकार से कहा था कि सरकार अध्यादेश लाकर कानून को पूर्ववत लागू करे। जिसके बाद मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पूर्ववत लागू करने के लिए संसोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया। अब इसके विरोध में सवर्ण वर्ग ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। जिसके बाद मोदी सरकार एक बार फिर वैकफुट पर दिखाई दे रही है।
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