ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष में आया फैसला, कोर्ट ने खारिज की मुस्लिम पक्ष की याचिका
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के ज्ञानवापी मामले से जुड़े श्रृंगार गौरी केस पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। बुधवार को कोर्ट ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से जहां मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है तो वहीं हिंदू पक्ष की महिलाओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की। अब इस मामले में जिला कोर्ट वाराणसी श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। इस मामले में जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने खारिज की इंतजामिया की याचिका
बता दें, श्रृंगार गौरी केस में हिन्दू पक्ष की ओर से राखी सिंह व 9 अन्य महिलाओं द्वारा वाराणसी की अदालत में सिविल सूट दाखिल किया गया था। वहीं, इस मुकदमे में अपनी आपत्ति खारिज होने के खिलाफ मस्जिद की इंतजामियां कमेटी ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इस अर्जी में वाराणसी के जिला जज की अदालत से 12 सितंबर को आए फैसले को चुनौती दी गई थी। अदालत में वाद दाखिल करने वाली 5 महिलाओं समेत 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया था। जिसमें वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल की गई आपत्ति को खारिज कर दिया था। श्रंगार गौरी केस की बहस पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिका डाली दी थी। जिसे आज हाईकोर्ट में जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया है।
फैसला आते ही हिंदू पक्ष ने बांटी मिठाई
ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी कोर्ट में दायर पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद हिंदू पक्ष की महिला वादिनी व वकीलों में मिठाई खिलाकर जश्न मनाया। इस दौरान हिंदू पक्षकारों की उम्मीदों को मानो पंख लग गए हों। मुख्य पक्षकार सोहनलाल आर्य ने बताया कि जिस तरह हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की याचिका को खारिज किया है, ठीके वैसे ही सुप्रीम कोर्ट भी खारिज करेगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास श्रंगार गौरी पर अपना अधिकार रखने का कोई सबूत ही नहीं है। हमारे पास वहां देवी-देवताओं के होने का प्रमाण है। वहीं, महिला पक्षकारों में सीता साहू और लक्ष्मी देवी ने बताया कि उन्हें आज कोर्ट के इस फैसले से बहुत खुशी हो रही है। इस फैसले के बाद अब उन्हें उम्मीद है कि जीत उनकी ही होगी।
कोर्ट में मुस्लिम पक्ष व हिंदू पक्ष की दलीलें…
आज जब हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया तो कोर्ट के अंदर दोनों पक्ष की ओर से दलीलें दी गई।
मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी, ‘1991 के प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट और 1995 के सेंट्रल वक्फ एक्ट के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है।’ जबकि हिंदू पक्ष की महिला वादियों ने कहा था, ‘माता हम लोगों को शक्ति दें कि मूल स्थान के दर्शन कर सकें। मां श्रृंगार गौरी से कामना की। बाबा मिल गए हैं। जैसे ज्ञानवापी में नमाज होती है, वैसे ही हमें भी दर्शन पूजन का अधिकार मिले। हमारे केस में कमीशन की कार्रवाई में काफी साक्ष्य मिले हैं। हम निराश नहीं हैं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का केस जीत चुके हैं।’
ज्ञानवापी से क्यों जुड़ा है श्रृंगार गौरी मामला
दरअसल, 18 अगस्त 2021 को पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर श्रंगार गौरी के रूप में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी थी। इन महिलाओं ने कोर्ट के आगे मांग रखी कि ये श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत चाहती थी। इस याचिका के आधार पर कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे भी किया गया था। सर्वे के बाद ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग के आकार की वस्तु दिखाई दी थी। जिसपर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बता दिया था। 26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।
अभी ज्ञानवापी में साल में एक बार होती है पूजा
बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है। लेकिन इन 5 महिलाएं मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए कोर्ट पहुंची थीं। इन पांच याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व दिल्ली की राखी सिंह कर रही हैं, बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक बनारस की हैं।
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