मणिुपर में हड़ताल से ‘व्यापार और जनजीवन ठप’
म्यांमार की सीमा के पास स्थित जिलों में सोमवार रात से करीब 48 घंटों की आम हड़ताल से सीमावर्ती वैध व्यापार ठप हो गया है। हड़ताल के कारण इन जिलों में सामान्य जनजीवन पर भी असर पड़ा। तेंग्नॉपाल के पुलिस अधीक्षक एस. इबोम्चा ने कहा कि हड़ताल के मद्देनजर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, जिसके कारण कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई।
किसी भी वाहन के आवागमन की अनुमति नहीं है
तेंग्नॉपाल और चंदेली जिले के अधिकारियों ने कहा, “सभी सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, दुकानें और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं। मणिुपर और म्यांमार को जोड़ने वाले ट्रांस एशियन हाईवे पर किसी भी वाहन के आवागमन की अनुमति नहीं है।”
Also read : दिसंबर में होगी दक्षिण एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप
17 दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाए
पहाड़ी राजमार्ग पर सौकड़ों पर्यटक और व्यापारी वाहनों में फंसे हुए हैं। हड़ताल नगा चीफ्स एसोसिएशन और कुकी चीफ्स एसोसिएशन ने आहूत की थी। इनकी मांग है कि 2016-17 में महात्मा गांघी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के अंतर्गत काम करने वाले लोगों को 17 दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाए।
Also read : मप्र : लेखापाल ने विधवा से रिश्वत ली, 4 साल कैद
आंदोलन और उग्र करने की भी धमकी दी है
नगा और कूकी जनजातियों ने मोरेह, चंदेल, तेंग्नॉपाल, माची और चकपीकारोंग में पुराने टायर और लकड़ियां जलाकर सड़क जाम कर वाहनों की आवाजाही रोक दी। उन्होंने मजदूरी का शीघ्र भुगतान नहीं किए जाने पर आंदोलन और उग्र करने की भी धमकी दी है।
Also read : मजदूरी करने वाले नन्हें हाथों ने ‘ब्लॉगर की दुनिया में मचायी धूम’
व्यापार ठप होने से करोड़ों रुपये की चपत लगी है
इस मुद्दे पर सरकारी के रुख पर सवालिया निशान लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नौकरी कार्ड धारकों के सबंधित दस्तावेज 14 सितम्बर को सौंप दिए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल के परिणामस्वरूप सीमावर्ती व्यापार ठप होने से करोड़ों रुपये की चपत लगी है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)