मणिपुर में 10 कुकी विधायकों ने की अलग राज्य की मांग, बोले- रक्षा करने में सरकार विफल

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लखनऊ : मणिपुर में सरकार ने भले ही हिंसक गतिविधियों को नियंत्रण में कर लिया है। लेकिन जनजाति कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने अब अलग राज्य की मांग कर दी है। कुकी समुदाय के इन विधायकों का कहना है कि मैतई समुदाय के लोगों द्वारा की गई हिंसा की इस घटना के बाद साथ रहना संभव नही। साथ ही सरकार भी कुकी समुदाय की रक्षा करने में अफसल हो चुकी है।

गौरतलब है कि मणिपुर में 10 दिन चले आत्मघाती दंगे में अब तक 71 लोगों की जान जा चुकी है। उपद्रवियों ने गांव-घर भी जला कर राख कर दिए, ऐसे में लोगों के पास वापस लौटने की वजह भी नहीं है।

कुकी विधायकों को सता रहा मैतई समुदाय का डर

आदिवासी कुकी विधायकों का कहना है, ‘अलग राज्य की मांग करना नेतृत्व परिवर्तन की बात नहीं है। हमारे लोगों को मारा गया, घरों को जलाया गया है, ऐसे में मैतेई समुदाय के साथ नहीं रहा जा सकता। मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष ने हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया, घरों को जमीन पर गिरा दिया और पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया, जो लोग हिंसा से बचने के लिए राजधानी इंफाल से भागे थे, उनके लिए यादें अभी भी दर्दनाक हैं।’

कुकी विधायकों की अलग राज्य की मांग की वजह

वहीं, बचे हुए कई लोग जो अपने रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए गुवाहाटी भाग गए हैं, उनका कहना है कि हिंसा के दौरान उनके घर नष्ट हो गए हैं और उनके पास लौटने के लिए कोई जगह नहीं है। उनमें से कुछ ने यह भी बताया कि प्रकाश के एकमात्र स्त्रोत के रूप में मोबाइल फोन, टार्च के साथ अपने घरों में खुद को बंद कर लिया। दस आदिवासी कुकी विधायकों ने अलग राज्य की मांग कर दी है। लोगों को मारा गया, घरों को जलाया गया है, ऐसे में मैतेई के साथ नहीं रहा जा सकता।

रक्षा करने में विफल रही सरकार- कुकी विधायक

विधायकों ने मणिपुर सरकार पर हिंसा में शामिल उपद्रवियों का ‘समर्थन’ करने का भी आरोप लगाया। आदिवासी विधायकों ने कहा कि मणिपुर राज्य हमारी रक्षा करने में बुरी तरह से विफल रहा है। ऐसे में हम भारत के संविधान के तहत एक अलग प्रशासन की मांग करते हैं। मणिपुर राज्य के साथ पड़ोसियों के रूप में शांति से रहना चाहते हैं।

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