लोहिया संस्थान में वॉर्ड ब्वॉय करते हैं मरीजों का इलाज !
देश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, शहर से लेकर गांव तक डॉक्टरों की कमी है मरीजों को सही से इलाज न मिलने की वजह से दम तोड़ रहे हैं। वहीं राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान में मरीजों की जान से खुले आम खिलवाड़ हो रहा है। लोहिया संस्थान में मरीजों को ड्रिप लगाना, बीपी चेक करना, इंजेक्शन लगाना ये सब काम वहां के वॉर्ड ब्वॉय कर रहे हैं। जब इस तरह का खिलवाड़ लोहिया जैसे बड़े संस्थानों में हो रहा है तो दूसरे अस्पतालों की हालत क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है?
चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी करते हैं अस्पताल में इलाज
राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान में मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। मरीजों का इलाज वहां के डॉक्टरों के बजाय वॉर्ड ब्वॉय कर रहे हैं। इतना ही नहीं जो काम स्टॉफ नर्सों का है वो काम भी इन्हीं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से करवाया जा रहा है। साफ-सफाई, फाइलों को इधर से उधर ले जाने वाले जब मरीजों का इलाज करेंगे तो फिर इन मरीजों की जिंदगी का क्या भरोसा कि वो ऐसे अस्पतालों से जिंदा वापस घर जा पाएंगे।
मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़
अस्पताल में ये सब काम वो अपनी मर्जी से नहीं कर रहे हैं बल्कि स्टॉफ नर्स से लेकर डॉक्टर तक उन्हें ऐसा करने के लिए कहते हैं। इतना ही नहीं गंभीर मरीजों का इलाज भी इनके भरोसे ही छोड़ दिया जाता है। ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जब मरीजों का इलाज कर रहे हैं तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिससे मरीजों की जान भी जा सकती है।
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ड्यूटी के नाम पर नर्स-डॉक्टर फरमाते हैं आराम
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टॉफ नर्स से लेकर डॉक्टर सब ड्यूटी की खानापूर्ति करने आते हैं और कोई भी काम करना नहीं चाहते। ऐसे में वो इन वॉर्ड ब्वॉय के भरोसे मरीजों को छोड़ दिया जाता है। इतना ही नहीं आईसीयू में भर्ती मरीजों को भी यही वॉर्ड ब्वॉय सेक्शन पाइप लगाने से लेकर दवाइयां देना इसीजी चेक करने जैसा काम भी करते हैं।
दबाव बनाकर करवाया जाता है काम
अब सवाल ये है कि, आखिर वॉर्ड ब्वॉय से ये सब काम क्यों करवाए जा रहे हैं? अगर अस्पताल में नर्सों की कमी है या फिर डॉक्टरों की कमी है तो अस्पताल प्रशासन इस कमी को दूर करे न कि मरीजों की जान जोखिम में डाल कर वॉर्ड ब्वॉय के भरोसे उनको छोड़ दे। अस्पताल में तैनात ये वॉर्ड ब्वॉय ऐसा अपनी मर्जी से नहीं करते हैं। बल्कि उनसे जबरन करवाया जाता है और अगर वो मना करते हैं तो उनके ऊपर दबाव बनाया जाता है कि उनकी शिकायत की जाएगी और उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। ऐसे में उनकी मजबूरी हो जाती है और उन्हें ये सब करना पड़ता है। इतना सब होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन इसपर मौन है। ऐसा नहीं है कि ये सारा खेल जो अस्पताल में हो रहा है उससे अस्पताल प्रशासन वाकिफ नहीं है।