कानपुर IITians की ये खोज आपको चौंका देगी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी खोज की है। केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने बिना लकड़ी के इस्तेमाल से ऐसा पेपर तैयार किया है जिसमें कई बार लिखा जा सकता है। इस कागज की खासियत है कि इसमें लिखे शब्द और चित्र को सामान्य गीले कपड़े से मिटाया जा सकता है। आइआइटी ने इस खोज को पेटेंट करा लिया है और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है।
साल भर की मेहनत से हुआ तैयार
केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी प्रो. अनिमांग्सु घटक और पीएचडी के छात्र नीतीश कुमार ने साल भर की मेहनत से इसे तैयार किया है। इसमें रसायनों के अलावा पॉलीमर कोटिंग का इस्तेमाल हुआ है। संस्थान की लैब में हफ्ते भर में 500 पेज बनाए जा रहे हैं। अभी ए-फोर साइज के एक पेपर की कीमत 10 रुपये आ रही है। अधिक संख्या में बनाने पर इसकी कीमत प्रति पेपर एक या दो रुपये हो सकती है।
छात्रों के परीक्षा पेपर बनाए
आइआइटी में बीटेक व एमटेक के एंड सेमेस्टर चल रहे हैं। केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के बीटेक और एमटेक छात्रों के प्रश्नपत्र इसी पेपर (बार-बार लिखो) से तैयार हुए हैं। विभागाध्यक्ष ने छात्रों से प्रश्न पत्र ले लिए हैं। उन्हें फिर से इस्तेमाल किया जाएगा। संस्थान इतने अधिक संख्या में पेपर को साफ करने के लिए सस्ते केमिकल की खोज कर रही है। हालांकि पानी व गीले कपड़े से इस प्रिंटेड पेपर को साफ किया जा सकता है।
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डी-प्रिंटर बनाने के लिए सिंगापुर से करार
कंप्यूटर से छपे खास तरह के पेपर को साफ करने के लिए डी-प्रिंटर बनाया जा रहा है। आइआइटी और सिंगापुर के तकनीकी इंस्टीट्यूट से करार हुआ है। इसमें खास तरह की सस्ती स्याही का इस्तेमाल होगा, जो छपे हुए कागजों को फिर से साफ कर सकेगी।
बच्चों के लिए बनाई ड्राइंग शीट
आइआइटी ने बच्चों के लिए खास तरह की ड्राइंग शीट तैयार की है। इसमें पेपर कुछ मोटा है। इसको 100 से अधिक बार उपयोग किया जा सकता है। यह आर्किटेक्चर और चित्रकारी के लिए मुफीद है। संस्थान के वैज्ञानिक इसे व्हाइट बोर्ड की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी कीमत करीब 50 रुपये आती है। बार-बार लिखो पेपर से पर्यावरण संरक्षित किया जा सकेगा। पेड़ काटने नहीं पड़ेंगे। पानी का खर्च भी कम हो जाएगा। संस्थान की तकनीक को कई देशों के लोग देखने आ रहे हैं।