IIT बीएचयू की पहल, अब भोजपुरी-मैथिली में पढ़िए हिन्दी-अंग्रेजी की किताबें
आईआईटी बीएचयू ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो किसी भी भाषा की किताबों को अब भोजपुरी, मैथिली और मगही बाषा में पढ़ा जा सकता है। ये पहल करीब 3 साल पहले केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट बनारस के नाम से आईआईटी बीएचयू(BHU) को सौंपी थी जिसे पूरा कर लिया गया है। इस सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग के माध्यम से दुनिया की किसी भी भाषा में लिखी गई किताब को आप सिर्फ एक क्लिक के जरिए अपनी मातृभाषा में पढ़ सकते हैं। इसके लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। इस वेब वर्जन आधारित अनुवाद प्रणाली को 7 मई 2018 को बीएचयू के कैंपस से लांच किया जा चुका है।
यूपी-बिहार के छात्रों को दूसरी भाषा को समझने में होती थी दिक्कत
उत्तर भारत के दो बड़े सूबे यूपी और बिहार में भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा का बोलबाला है। देश भर में फैले इन सूबों के छात्रों को दूसरी भाषाओं को पढ़ने और समझने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था जिससे उनके करियर पर भी असर पड़ता था। ऐसे में ये पहल यूपी और बिहार के युवाओं के लिए खासकर फायदेमंद साबित होगा। छात्रों की भाषाई दिक्कत को दूर करने के लिए और विकास की पटकथा लिखने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने ‘प्रोजेक्ट बनारस’ के तहत तीन साल पहले बीएचयू आईआईटी को सौंपी थी। इस योजना में आईआईटी बीएचयू के साथ आईआईटी खड़गपुर, ट्रिपल आईटी हैदराबाद, आईआईटी कानपुर, आईआईटी गांधीनगर समेत कई तकनीकी संस्थानों के सहयोग से विकसित किया गया है।
भोजपुरी भाषा में समाचार पत्र
आईआईटी बीएचयू के डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव संगल के मुताबिक भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा में टेक्स्ट की सुविधा क्रांतिकारी कदम है। इससे हिन्दी समाचार पत्रों तक का पूरबिया भाषा एडिशन क्लिक करते ही कुछ मिनटों में ही सामने आ जाएगा। इससे पहले तेलगू, तमिल, कन्नड़, मराठी, बंगाली, पंजाबी, उर्दू, हिन्दी, संस्कृत में अनुवाद प्रणाली उपलब्ध रही थी। आने वाले समय में कुछ और भाषाओं को भी इससे जोड़ने की योजना है।
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तानाबना बुन रहे टेक्नोक्रेटस
‘प्रोजेक्ट बनारस’ में पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के विकास की पटकथा लिखने में टेक्नोक्रेटस जी जान से जुटे हुए हैं। समन्वयक प्रोफेसर आर.एस.सिंह के मुताबिक प्रोजेक्ट के पांच चैप्टर में वे सभी समस्याएं शामिल हैं जो बनारस के आम और खास के लिए दिक्कत बनी हुई हैं। सैनिटेशन-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, ट्रांसपोर्ट, बुनकरों की तरक्की और भाषा-दर्शन पर आईआईटी के अलग-अलग विभागों में तेजी से काम चल रहा है।
बीएचयू बनेगा मॉडल
सैनिटेशन के तहत शहर में नेचुरल प्रॉसेस वाले डी-सेंट्रलाइज एसटीपी सिस्टम लगाने का प्लान है। इसके लिए बीएचयू को मॉडल बनाया जाएगा। दस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले बीएचयू कैंपस में ऐसे एसटीपी पर काम चल रहा है जो ऊपर से खूबसूरत बगिया नजर आएंगे और भूमिगत बायोलॉजिकल प्रॉसेस वाले एसटीपी से निकलने वाला पानी नहाने और कपड़ा धोने के काम में लाया जाएगा।
बुनकरों के लिए नए टूल
बुनकरों का काम आसान करने के लिए भी केंद्र सरकार जोर दे रही है। इसके लिए भी तेजी से काम चल रहा है। आईआईटी डायरेक्टर प्रो. राजीव संगल के मुताबिक लूम प्रयोग में लाए जाने वाले परंपरागत टूल्स को नया रुप देने पर भी विशेषज्ञ काम कर रहे हैं और जल्द ही नई प्रणाली के टूल्स बुनकरों को मुहैया कराए जाएंगे। जिससे उनका काम और भी आसान हो जाएगा।
गलियों के लिए सुविधाएं
बनारस की सड़कों और गलियों पर यातायात को सुचारु रुप से चलाने के लिए भी काम जोरों पर चल रहा है। इसके लिए टोटल मोबिलिटी प्लान तैयार किया जा रहा हैं। इसमें ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें प्राइवेट-पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए एक निश्चित समय में गंतव्य तक पहुंचा जा सकेगा। गलियों में रहने वाले लोगों को भी कई सुविधाएं उपलब्ध होगी।