ट्रेन हादसों की चपेट में आने वालों को रेलवे देगा मुआवजा
रेल में यात्रा के दौरान अगर किसी की मौत हो जाती है या घायल होने पर रेलवे को मुआवजा (compensation) देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश रेलवे को दिया हैं। कोर्ट का कहना है कि यदि कोई यात्री रेल में सफर कर रहा है और उसके साथ रेल में चढ़ते या उतरते समय वह किसी हादसे का शिकार हो जाता है तो रेलवे की तरफ से उसको मुआवजे का अधिकार है। इस स्थिति को उसकी लापरवाही नहीं मानी जा सकता है।
जस्टिस रोहिंनटन एफ नरीमन की पीठ ने यह निर्णय दिया
वहीं, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ रेलवे परिसर में किसी शव या घायल के होने से यह निर्णय नहीं हो जाएगा कि घायल या मृत मुआवजे के संबंध में वास्तविक यात्री था।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यात्री के पास टिकट के न होने पर उसे मुआवजा देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस रोहिंनटन एफ नरीमन की पीठ ने यह निर्णय दिया।
रेलवे ऐक्ट 1989 के सेक्शन 124A के तहत, अगर कोई यात्री रेल में आत्महत्या करता है या आत्महत्या की कोशिश करता है या फिर खुद को जान-बूझकर चोट पहुंचाने की कोशिश करता है तो इसे यात्री का अपराध माना जाएगा। रेलवे के इस ऐक्ट के खिलाफ देश की कई हाई कोर्ट ने एक-दूसरे के खिलाफ फैसला दिया।
ऐसे यात्रियों को भी मुआवजे का हकदार बताया
कुछ हाई कोर्ट ने ऐसे यात्रियों को भी मुआवजे का हकदार बताया तो वहीं कुछ अन्य हाई कोर्ट ने इसे रेलवे की लापरवाही मानने से इनकार करते हुए आत्महत्या करने और कोशिश करने को अपराध की श्रेणी में रखा। इस विवाद पर विराम लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे यात्रियों को भी मुआवजे का हकदार बताया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘अपनी कोशिश के कारण घायल’ होने की परिभाषा के पीछे ऐसा करनेवालों की मूल भावना को समझना होगा। मुआवजे की मांग को अस्वीकार करने के लिए यात्री की लापरवाही का एक ग्राउंड हो सकता है, लेकिन रेलवे के परिसर में होनेवाली ऐसी दुर्घटनाओं पर मुआवजा नहीं देने के लिए इसे आधार नहीं मान सकते।’
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