Explainer: कैसे भारतीय रुपया तोड़ेगा चीनी युआन की कमर, रूबल के जरिए करेगा राज
दुनियाभर में कारोबार की सूचि में भारत की उपलब्धि बढाती जा रही है. पश्चिमी देशों से लेकर रूस तक भारत से अपने कारोबार संबंध को मजबूत करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा रहे है. और इसकी वजह से चीन को नुक्सान हो रहा है. इसी में भारत ने अपना मास्टरमाइंड का उपयोग करते हुए तैयारी शुरू कर दी है, दरअसल भारत अपनी शुरुआत उसी देश से कर रहा है, जिसके साथ चीन पहले से ही है, जी हां, हम रूस की बात कर रहे हैं. आइए इसको सरलता से समझते है….
भारत रूस के साथ लोकल करेंसी में कारोबार बढ़ाने की शुरूआत कर रहा है. जिसमें भारत का वोस्ट्रो अकाउंट अहम भूमिका निभाएगा और चीनी यूआन की कमर भी तोड़ेगा. अगर ऐसा हुआ तो एशिया में एक देश से दूसरे देश में कारोबार करने की सूरत ही बदल जाएगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रूस और भारत के बीच वोस्ट्रो अकाउंट कैसे अहम भूमिका निभा सकता है और रुपया विश्व पटल पर कैसे नई उंचाई छू सकता है.
भारत और रूस के पेमेंट इश्यू होंगे दूर…
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-रूस बिजनेस टॉक के दौरान कहा कि इस समय हम दोनों देशों के बीच चल रहे पेमेंट सिस्टम में आ रहे इश्यू को सुलझाने का काम कर रहे हैं. इस मौके पर जयशंकर ने स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट सिस्टम के माध्यम से भारतीय रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए कॉरेपोंडेंट रिलेशन नेटवर्क को एक्सपैंड करने की बात की. जयशंकर ने कहा ने कहा कि पेमेंट के इश्यू पर चर्चा हो रही है. स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट सिस्टम के माध्यम से भारतीय रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट की योजना के तहत कॉरेपोंडेंट रिलेशन नेटवर्क को एक्सपैंड करना. मुझे लगता है कि पेमेंट के इश्यू पर दोनों पक्षों के बीच बात होना काफी जरूरी है और इस सिस्टम पर बात होगी.
क्या होता है वोस्ट्रो अकाउंट…
वोस्ट्रो अकाउंट वह बैंक अकाउंट होता है जो एक डॉमेस्टिक बैंक द्वारा एक विदेशी बैंक बैंक के लिए रखा जाता है, जिसे पूर्व की डॉमेस्टिक करेंसी में दर्शाया जाता है. रुपया वोस्ट्रो अकाउंट विशेष रूप से भारतीय बैंक में भारतीय रुपये में विदेशी संस्था की डिपॉजिट राशि रखता है. इस प्रकार की बैंकिंग कॉरेसपांडेंट बैंकिंग का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसमें एक बैंक या एक मध्यस्थ शामिल होता है जो दूसरे बैंक की ओर से वायर ट्रांसफर, बिजनेस ट्रांजेक्शंस, फंड डिपॉजिट और दूसरे बैंक के बदले में डॉक्युमेंअ कलेक्ट करता है.
चीनी युआन की टूटेगी कमर…
भारत रूस व अन्य दुनिया के बाकी देशों के साथ रुपये में क्यों कारोबार करना चाहता है? उसकी सबसे बड़ी वजह चीनी युआन है, बीतें कुछ महीने पहले ही पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति के सामने ऐलान कर दिया था कि अब वो चीन के आलावा एशिया के बाकी देशों, अफ्रीकी देश और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ युआन में ट्रेडिंग करेगा. इसका मतलब साफ है रूस ने युआन को ग्लोबल करेंसी के रूप में मान्यता दे दी है. जो डॉलर पर एक बड़ा प्रहार है. इसी वजह से भारत भी रुपये को ग्लोबल करेंसी के रूप में मान्यता दिलाने के लिए रूस के साथ बातचीत कर रहा है. इसके लिए जहां चीन नहीं पहुंच रहा है या फिर जिन देशों में चीन पर विश्वास कम है उन दक्षिण भारतीय और यूरोपीय देशों में रुपये में ट्रेडिंग की बात चल रही है.
बता दें कि साल 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रालय ने बैंकों और ट्रेड बॉडीज के सीनियर मैनेज्मेंट को भारतीय रुपये में इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का निर्देश दिया. उन्होंने बैंकों से भारतीय करेंसी में क्रॉस बॉर्डर ट्रेड की सुविधा के लिए अपने विदेशी समकक्षों के सहयोग से स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट स्थापित करने का आग्रह किया, जो कि अमेरिकी डॉलर का उपयोग करने के विरोध में है, जो वर्तमान में ट्रांजेक्शन का अधिक लोकप्रिय तरीका है.
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