हिन्दू बहुल इंडोनेशिया कैसे बना मुस्लिम बहुल राष्ट्र, जानें कैसे सूफी मिशन से 87% तक पहुंची आबादी..
साल 2022 में आयी इंडो-इस्लामिक हैरिटेज सेंटर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि, दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया है। जब की बताया जाता है कि, एक समय ऐसा था जब इंडोनेशिया हिन्दू बहुल देशों में से एक था, लेकिन अब यहां 87% मुस्लिमों की आबादी है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि, मुस्लिम-बहुल देश इंडोनेशिया में हिंदू धर्म को बचाए रखने में इसका बड़ा रोल रहा।
क्या भारत का हिस्सा था इंडोनेशिया, हिन्दुओं ने कैसे बनाया मुस्लिम राष्ट्र
ये बात अक्सर सुनने को मिलती है कि, हमारे साथ एक समुद्री सीमा साझा करने वाले इस देश तक हिंदू पहुंचे कैसे, जबकि यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। इसको लेकर इतिहासकार दावा करते है कि, सबसे पक्की दलील ये दी जाती है कि,इंडोनेशिया पर एक समय में हिंदू राजा का ही शासन था । चोल साम्राज्य के राजाओं ने न केवल इंडोनेशिया, बल्कि श्रीलंका, मलेशिया और मालदीव पर भी शासन किया। चोल राजवंश के सबसे ताकतवर शासक राजराज ने सबसे लंबे समय तक यहां राज किया।
इसके बाद 8वीं सदी की शुरूआती दौर के साथ अरबी मुस्लिम व्यापारी इंडोनेशिया में मसाले खरीदने के लिए पहुंचने लगे थे, इसके साथ बदलाव का यह वो दौर रहा जब देश के नीचले तबके के लोगों ने धर्म बदलना शुरू कर दिया था, लेकिन इसका असर 13 वीं सदी तक भी खुलकर दिखायी नहीं दे रहा था। इसी दौरान हिंदू एलीट क्लास भी मजहब बदलने लगा। 13वीं सदी में चीनी सैलानी मार्को पोलो ने जब इस देश की यात्रा की तो लौटकर लिखा कि देश में कई शहर के शहर मुसलमान धर्म अपना रहे हैं. इसके बाद ही बड़े स्तर पर बदलाव दिखा।
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इस तरह से हो रहा था बदलाव
कुल मिलाकर मुस्लिम व्यापारियों ने इंडोनेशिया की डेमोग्राफी बदलने में अहम भूमिका निभाई। 14वीं सदी तक जावा ही नहीं, आसपास के कई द्वीप देशों की बड़ी आबादी मुस्लिम धर्म अपना चुकी थी। 18वीं सदी में द्वीप का वैभव देखकर डच लोग भी आए. वे यहां पर ईसाई धर्म का प्रचार करने में जुट गए। लेकिन इसका असर उल्टा ही हुआ। मुस्लिम अपने धर्म को लेकर और कट्टर होने लगे।
बेहद खूबसूरत इस देश के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि एक समय पर यहां कोई भी धर्म नहीं माना जाता था। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इंडोनेशियाई लोग नास्तिक थे। वे एनिमिज्म यानी जीववाद को मानते थे। इसमें वे सभी पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों यानी तक कि बिजली-पानी तक की पूजा किया करते थे. ये बहुत कुछ हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों से मिलता-जुलता था। यही वजह है कि हिंदुओं की बढ़त से यहां कोई खास टकराव जैसी स्थिति नहीं बनी।