इस्तीफे के बाद भी सुरक्षित रहती है नौकरशाह की नौकरी ?

उनका इस्तीफा किसी तरह की शर्त निहित तो नहीं है।

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2009 की भारतीय प्रशासनिक सेवा में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी शाह फैसल 2019 में इस्तीफा देकर राजनीति में आ गए थे। उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी भी बना ली थी, लेकिन उनके इस फैसले ने जितना चौंकाया था, उससे कहीं ज्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आ रही है कि एक साल से ज्यादा अवधि से लगातार राजनीति कर रहे शाह फैसल का इस्तीफा अभी तक स्वीकार ही नहीं हुआ है।

वह अभी भी भारतीय प्रशासनिक सेवा का हिस्सा हैं। इस ‘राज’ से पर्दा तब हटा जब पिछले दिनों उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया। देर-सबेर उनकी भारतीय प्रशासनिक सेवा में वापसी की संभावना पर चर्चा शुरू हुई है। जब बात शाह फैसल की चली तो बिहार के मौजूदा डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की भी याद आ गई।

जब चुनाव लड़ना चाहते थे गुप्तेश्वर पांडे-

1987 बैच फैसल के गुप्तेश्वर पांडे 2009 में बिहार से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी से उनकी बात तय हो जाने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। तब उन्होंने अपनी वीआरएस रद्द कराने की सिफारिश लगाई। वह मंजूर हो गई।

आज की तारीख में वह बिहार के पुलिस चीफ है। अभी पिछले तक महीने पंजाब सीएम के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया लेकिन बाद में वह भी नौकरी पर लौट आए। यह उदाहरण बताते हैं कि ब्यूरोक्रेट्स की नौकरी इस्तीफा देने के बाद भी सुरक्षित रहती है।

इस वजह से स्वीकार नहीं हुआ इस्तीफ़ा-

प्रतिष्ठित समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक शाह फैसल अभी भारतीय प्रशासनिक सेवा का हिस्सा हैं। उनका इस्तीफा क्यों नहीं स्वीकार हुआ, इसपर उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने से पहले जून 2018 में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, जो अभी भी पेंडिंग है।

इसके बाद उनका इस्तीफा आया तो उसे कारण बताओ नोटिस के निस्तारण होने तक तक स्थगित रखा गया। अगर वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में लौटना चाहेंगे तो पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस का जवाब देना होगा। जवाब पर क्या फैसला होता है, उसके बाद इस्तीफे पर फैसले का नंबर आता है।

इस्तीफा स्वीकार करने की शर्ते-

सरकारी सूत्रों ने प्रतिष्ठित समाचार पत्र को बताया कि नियमावली यह कहती है कि अगर किसी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनहीनता का कोई मामला विचाराधीन है तो उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होगा।

दूसरा यह भी सुनिश्चत किया जाता है कि उनका इस्तीफा किसी तरह की शर्त निहित तो नहीं है। ब्यूरोक्रेट्स को यह भी सुविधा प्राप्त होती है कि अगर उनका इस्तीफा स्वीकार भी हो गया है तो स्वीकार होने के 90 दिनों के अंदर इस्तीफा वापस लेने के लिए सरकार को आवेदन दे सकते हैंबाद भी सुरक्षित रहती है।

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