शारदीय नवरात्रि के तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की होगी पूजा….
जानें कौन है मां चंद्रघंटा ?
शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 3 अक्टूबर से हो गया है, इस साल शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक चलने वाला है. हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाला है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा पूरे विधि–विधान से की जाती है. ऐसे में आज नवरात्रि का तीसरा दिन है और आज मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. आज का दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित रहता है. यह नवदुर्गा का तीसरा स्वरूप है, आइए जानते है पूजन विधि और उपासना के लाभ…
मां चंद्रघंटा कौन है ?
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा के सर पर घंटे का आकार का चंद्रमा है, यही वजह है इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनके दसों हाथों में युद्ध की मुद्रा है और उनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं. मां चंद्रघंटा की तंत्र साधना में मणिचक्र को नियंत्रित किया जा सकता है, वही ज्योतिषी में मां चंद्रघंटा का संबंध मंगल नामक ग्रह से माना जाता है.
कैसे करें मां चंद्रघंटा की उपासना ?
लाल रंग के कपड़े पहनकर मां चंद्रघंटा की पूजा करना सबसे अच्छा होगा. साथ ही, माता को लाल चुनरी, लाल फूल और रक्त चंदन समर्पित की जाती है. इनकी पूजा मणिपुर चक्र को मजबूत करती है, इसलिए इस दिन पूजा करनी चाहिए ताकि मणिपुर चक्र मजबूत हो और भय की नाश हो सकें. अगर इस दिन की पूजा से सिद्धियाँ मिलती हैं, तो इस पर ध्यान न दें, बल्कि आगे साधना करते रहें.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती, चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली, मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो, चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली, हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये, श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
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मूर्ति चंद्र आकार बनाएं, सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता, पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा, करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी, भक्त की रक्षा करो भवानी।