जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों पर होगी देश की नजर
सुप्रीम कोर्ट में पिछले 45 दिनों से गर्मी की छुट्टियां थीं और 1 जुलाई से कामकाज फिर से शुरू हो रहा है। जुलाई का यह महीना विभिन्न महत्वपूर्ण फैसलों के लिए अहम है। इस महीने सर्वोच्च न्यायालय कई महत्वपूर्ण फैसलों की बारिश कर सकती है जिनमें सबसे अहम है आधार को अनिवार्य बनाने का केस। आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट आखिरी फैसला क्या देती है, इस पर पूरे देश की नजर रहेगी।
आधार पर फैसला
देश की 133 करोड़ आबादी में से अब तक 118 करोड़ लोगों ने आधार कार्ड बनवा लिया है और आधार नंबर का प्रयोग विभिन्न सरकारी योजनाओं और पहचान पत्र के तौर पर कर रहे हैं। आधार का प्रयोग करनेवालों के लिए यह उत्सुकता है कि आखिर सर्वोच्च अदालत इस पर क्या फैसला देती है। पांच जजों की बेंच जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस करेंगे, आधार पर सुप्रीम मुहर लगाएंगे। सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण ने 10 मई को आधार अनिवार्यता के केस पर फैसला सुरक्षित रखा था। 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था।
जजों की बेंच ने फैसले से पहले आधार की सुरक्षा को लेकर कुछ चिंताएं भी जाहिर की थीं। केंद्र सरकार ने आधार को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि आधार के लिए लिया जाने वाला किसी भी व्यक्ति का बायोमीट्रिक डेटा हैक नहीं हो सकता। आधार डेटा की सुरक्षा के लिए सरकार ने हर संभव प्रयास किया है और इसे हैक करना संभव नहीं है। वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि आधार की अनिवार्यता निजता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा। इस केस पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगी, वह भारतीय न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
अरविंद केजरीवाल मामले पर भी आ सकता है फैसला
आधार पर फैसला देनेवाली 5 जजों की ही बेंच आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की तरफ से दायर याचिका पर भी फैसला सुना सकती है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच शक्तियों के बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। दिल्ली की स्वायत्तता को कायम रखते हुए केंद्र सरकार के पास इसके नियंत्रण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए केजरीवाल ने याचिका डाली है। पिछले साल 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी फैसला सुरक्षित रखा था।
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8 साल पहले हाइकोर्ट ने दिया था फैसला
राम जन्मभूमि विवाद को लेकर भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के 8 साल पुराने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट आखिरी फैसला इस महीने दे सकती है। हाई कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला देते हुए 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा तीनों पक्षों में समान ढंग से सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़ा के बीच बांटने का आदेश दिया था।
5 जजों की बेंच ही बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका पर भी फैसला दे सकती है जिसमें मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों के बीच बहु-विवाह का चलन है। उपाध्याय ने संवैधानिक अधिकारों का हवाला देते हुए इस प्रथा पर रोक के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है। बता दें कि तीन तलाक की ही तरह बड़ी संख्या में महिलाओं ने इसके खिलाफ भी गुहार लगाई है।