शादी के अरमानों पर फिर गया पानी, फिर कुंवारे रह गए गाजी मियां

सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हुआ निर्वाह, हो गया विवाद और आ गई आंधी

0

बड़े अरमानों के साथ हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी (गाजी मियां) दूल्हा बने थे. ख्वाहिश थी कि इस बार तो चाहे कुछ भी हो जाये शादी कर के ही रहेंगे. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. हर बार की तरह इस साल भी वही हुआ जिसका डर था. सैय्यद सलार मसूद गाजी मियां के अरमानों पर पानी फिर गया और वे कुंवारे रह गये. गाजे-बाजे के साथ दूल्हे राजा निकले. आतिशबाजी भी हुई. सब कुछ ठीक ठाक से चलने के बावजूद अचानक घराती और बाराती किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गये. आंधी भी आ गई. सब गड़बड़ हो गया और नतीजा यह हुआ कि गाजी मियां को दुल्हन का मुंह देखना नसीब नहीं हुआ. अब इस बार फिर गाजी मियां की शादी अगले साल तक के लिए टाल दी गयी है. सारी तैयारियां धरी की धरी रह गयीं. गाजे बाजे और आतिशबाजी के नजारे फीके पड़ गये. बेचारे बाराती भी मायूस हुए. उनकी सारी सजधज बेकार हो गयी. इन सबके बावजूद घराती और बरातियों की उम्मीदें बरकरार हैं कि चलो अगली बार तो गाजी मियां की शादी तो होईबे करी.

Also Read: रेल हादसाः श्री फतेहगढ़ साहिब में दो मालगाड़ियां टकराईं, चपेट में आई पैसेंजर ट्रेन

मेले में दोनों सम्प्रदायों के लोग हुए शामिल

गाजी मियां की शादी न होने की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. जिसका निर्वाह इस साल भी रविवार को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया. गाजी मियां की शादी का धूमधाम से आयोजन हुआ, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उनकी उम्मीदों पर पानी फिर. इस बार भी जैनपुरा (जैतपुरा) से गाजी मियां की प्रतीकात्मक बारात सलारपुर स्थित उनके आस्ताने पर पहुंची. सलारपुर में मेले का आयोजन हुआ. हजारों लोगों ने गाजी मियां की दरगाह पर हाजिरी लगायी. आसपास के जायरीन फातिहा पढ़ने, गुलपोशी और चादरपोशी के लिए पहुंचे. मेले में मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में हिन्दू भी शामिल होते हैं. इसे साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखनेवाले मेले के रूप में भी जाना जाता है. यही इस मेले की एक खासियत है.

मनौती पूरी होने पर कराया मुंडन

हिन्दू और मुसलमान दोनों ही वर्गों ने मनौती पूरी होने पर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया. आस्ताने पर मुर्गे का प्रसाद चढ़ाया गया. उधर, गाजी मियां के शादी में आंधी पानी आने की बात को आज सुबह आई तेज आंधी को अकीदतमंद इसी से जोड़ रहे. काशी में माना जाता है कि तीन दिवसीय ऐतिहासिक रथयात्रा मेले में किसी न किसी रूप में एक दिन बारिश होती है. इसी तरह गाजी मियां के शादी में आंधी आती है, ऐसा बड़ी बाजार और आसपास के पुराने वाशिंदे बताते हैं.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More