बाबरी ढांचा विध्‍वंस की बरसी पर अयोध्‍या में हाई अलर्ट …

माहौल बिगाड़ने की हो सकती है कोशिश

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अयोध्या: आज बाबरी ढांचा विध्वंस की 31 वीं बरसी है. इस मौके पर अयोध्या में हाई अलर्ट जारी किया गया है. बता दें कि अब राम नगरी अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है. इसे उद्घाटन की तारीख भी तय हो गयी है. पीएम मोदी आगामी 22 जनवरी 2024 में इस का उद्घाटन करेंगे. आपको बता दें कि इस भव्य राम मंदिर के निर्माण के इतिहास में 6 दिसंबर की तारीख का बेहद खास महत्व है. यह तारीख अयोध्या के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज है, जिसका अलग-अलग समुदायों पर अलग-अलग प्रभाव है.

आज से ठीक 31 साल पहले 6 दिसंबर 1992 की ही वह तारीख थी, जब देशभर से जुटे कार सेवकों ने बाबरी ढांचे को ढहा दिया था. इसकी वजह से लंबे समय तक तनाव रहा, लेकिन 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस ऐतिहासिक विवाद का निपटारा कर दिया.

माहौल बिगाड़ने की हो सकती है कोशिश

बाबरी विध्वंस की बरसी पर खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद अयोध्या में खास तौर पर राम मंदिर के आसपास विशेष तौर पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीनियर अधिकारी भी लगातार राउंड पर हैं और समय-समय पर हालात का जायजा ले रहे हैं. खुफिया विभाग से मिले इनपुट के मुताबिक 6 दिसंबर के दिन कुछ लोग माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं.

आतंकियों ने किया था बड़ा खुलासा

गौरतलब है कि अगले साल 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन भी होना है. इस आयोजन में पीएम मोदी समेत कई वीवीआईपी शामिल हो सकते हैं. वहीं, पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ISI के ‘ISIS’ स्लीपर सेल मॉड्यूल का खुलासा करते हुए यूपी और दिल्ली से आतंकियों को गिरफ्तार किया था.उनसे पूछताछ में भी इस बात का खुलासा हुआ था की उन्हें अक्षरधाम मंदिर और राम मंदिर पर हमले का टास्क दिया गया था.

हमारी सूचना प्रणाली और सोशल मीडिया टीम सक्रिय और सतर्क: एसएसपी

अयोध्या एसएसपी ने कहा कि हमारी सूचना प्रणाली और सोशल मीडिया टीम ऐसे प्लेटफार्मों के माध्यम से साझा की गई किसी भी जानकारी पर नज़र रखने के लिए सक्रिय और सतर्क है. किसी को भी अफवाह फैलाने या भ्रम पैदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. कुल मिलाकर, आवश्यकता के अनुसार पुलिस की तैनाती की गई है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर ध्यान केंद्रित करें.

देश भर से लाखों कार सेवक पहुंचे थे अयोध्या-

देशभर से लाखों कार सेवकों की भीड़ अयोध्या के बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ रही थी. इनमें हजारों लोग एक साथ नारे लगा रहे थे- जय श्री राम, राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, एक धक्का और दो… इस नारे की गूंज से पूरी अयोध्या नगरी गूंज रही थी.

केंद्र की नरसिंह राव सरकार, राज्य की कल्याण सिंह सरकार और सुप्रीम कोर्ट देखते रह गए, लाखों लोगों की भीड़ मस्जिद के अंदर घुस गई और ढांचे को तोड़ दिया. हाथों में बल्लम, कुदाल, छैनी-हथौड़ा लिए उन पर वार पर वार करने लगे. जिसके हाथ में जो था, वही उस ढांचे को ध्वस्त करने का औजार बन गया. यह सब होने में महज दो घंटे लगे. इस सारे घटनाक्रम की जांच के लिए बाद में ‘लिब्रहान आयोग’ का गठन किया गया.

बर्खास्त की गई थी राज्य की सरकार

इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया. खबरें तो ऐसी भी थीं कि कल्याण सिंह बर्खास्तगी की सिफारिश से करीब तीन घंटे पहले ही इस्तीफा दे चुके थे. हालांकि अब ये बातें इतिहास हो चुकी हैं.

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सीबीआई की चार्जशीट में कल्याण सिंह पर गंभीर आरोप-

इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट कुछ अलग ही कहती है. बाबरी मस्जिद विध्वंस पर दाखिल सीबीआई चार्जशीट में लिखा है कि यूपी के मुख्यमंत्री रहते हुए 1991 में कल्याण सिंह ने कहा था कि अयोध्या में राममंदिर बनकर रहेगा. सीबीआई चार्जशीट के मुताबिक 6 दिसंबर 1992 यानी बाबरी विध्वंस के कुछ रोज पहले कल्याण सिंह ने कहा था कि रोक कंस्ट्रक्शन (निर्माण) पर लगी है, डिस्ट्रक्शन (विध्वंस) पर नहीं.

सीएम रहते हुए चाहते तो रोक सकते थे बाबरी विध्वंस-

सीबीआई चार्जशीट में कल्याण सिंह पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने मस्जिद बचाने की कोई कोशिश नहीं की, साथ ही बाबरी विध्वंस की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई. कल्याण सिंह पर आरोप लगे कि अयोध्या में दंगे से निपटने के लिए पारामिलिट्री फोर्स मौजूद थी. लेकिन उन्होंने कारसेवकों को रोकने के लिए अयोध्या में पारामिलिट्री फोर्सेज को प्रयोग नहीं किया.

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