सड़क, गली और कूचों से बढ़े मदद के हाथ

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भोपाल: कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई ने समूचे देश को एकजुट कर दिया है। मध्यप्रदेश भी इस लड़ाई में देश के साथ एकजुटता दिखाते हुए जहां 21 दिन के एहतियाती लॉकडाउन को सफल बनाने में जुटा है, वहीं महाबंदी का संटक झेल रहे लोगों के लिए हर तरफ से मदद के हाथ बढ़ने लगे हैं।

एक तरफ आबादी का बड़ा हिस्सा घरों में है, तो दूसरी ओर काम की तलाश में पलायन कर परदेस गए लाखों लोगों का अपने घरों की ओर लौटने का सिलसिला जारी है। ऐसे लोगों से सड़कें पटी पड़ी हैं, सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे हैं। हर कोई भूख, प्यास की परवाह किए बिना अपने घर की ओर बढ़े जा रहा है। ऐसे में समाज का एक तबका इन लोगों की मदद के लिए आगे आया है, यही कारण है कि हर सड़क, गली और कूचे पर बड़ी संख्या में लोग खाने के पैकेट, बिस्कुट व दूध बांटते नजर आ रहे हैं।

दिल्ली से अपने प्रदेश की ओर बढ़ते लोगों का कारवां धीरे-धीरे ग्वालियर, झांसी होता हुआ छतरपुर और टीकमगढ़ की तरफ बढ़ रहा है। यातायात का कोई साधन न मिले के कारण पैदल चल रहे इन लोगों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, मगर पैर थम नहीं रहे हैं। कोई सड़क का सहारा ले रहा है तो कोई रेल पटरी के समानांतर चले जा रहा है। बच्चों का हाल यह है कि वे चल नहीं पा रहे हैं। उनके मां-बाप किसी तरह बच्चों को गोद में लिए हुए थके पैरों को आगे बढ़ाते रहने को मजबूर हैं।

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इनमें बहुसंख्यक वे लोग हैं जो दिल्ली के आसपास गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद आदि स्थानों पर काम करते हैं। कोरोनावायरस महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन से कामकाज पूरी तरह बंद हो गया है और परिवहन के सारे साधनों के पहिए थम गए, तब लोगों को पैदल ही अपने घरों की तरफ रुख करना पड़ा है।

पैदल चल रही टीकमगढ़ निवासी राजकुमारी बताती है कि उसके पास बच्चों के लिए दूध खरीदने तक के लिए पैसे नहीं हैं। इसी तरह रूपकुमार बताते हैं कि रास्ते में पानी हासिल करना मुश्किल हो जाता है, गनीमत है कि कई ढाबे वाले तरस खाकर चाय-पानी तक मुफ्त में दे देते हैं।

आपदा की इस घड़ी में समाज के लोग आगे आए हैं, जगह-जगह खाने के पैकेट बांटे जा रहे हैं, बच्चों को बिस्कुट और दूध उपलब्ध कराया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता मनीष राजपूत का कहना है कि ग्वालियर-चंबल से लेकर बुंदेलखंड तक के हिस्से में कई लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए हैं।

ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया कि लाखों लोग सड़क पर हों। इस संकटपूर्ण हालात में लोग एक-दूसरे का साथ देने पूरी ताकत से लगे हैं।

झांसी में हम कदम (गैर सरकारी संगठन) ने दिल्ली की ओर से आ रहे परिवारों को खाने के पैकेट उपलब्ध कराए। संगठन की अध्यक्ष उषा सेन का कहना है कि बीते चार दिनों से खाने के पैकेट बांटे जा रहे हैं। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

संस्था की संस्थापक उषा सचान बताती हैं कि गरीबों की जरूरत के समय मदद करने से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता। यह सब संस्था के सदस्यों के सहयोग से किया जा रहा है।

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टीकमगढ़ जिले के बस व्यवसायी प्रणव जायसवाल ने जिला मुख्यालय से गांव तक लोगों को भेजने के लिए अपनी कई बसें लगाई हैं। उनका कहना है कि गांव के लोगों को भेजने के लिए प्रशासन ने कहा तो उन्होंने अपनी बसों को मुफ्त सेवा में लगा दिया। पांच से ज्यादा बसें इस काम में लगाई गई हैं।

इसी तरह टीकमगढ़ जिले में अन्नम रक्षाम समिति द्वारा गरीबों को प्रतिदिन लगभग 300 पैकेट का वितरण किया जा रहा है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। संस्था की प्रमुख रजनी जायसवाल का कहना है कि उनकी संस्था पूरे साल ही गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने का काम करती है, इस समय जरूरत बढ़ गई है, इसलिए स्वच्छता, सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए खाने का निर्माण और वितरण किया जा रहा है।

अपने घर को लौट रहे शिवकुमार का कहना है कि जब वे दिल्ली से चले थे तो उन्हें कुछ किलोमीटर आगे निकलने के बाद लगा कि रास्ते में खाएंगे कहां से, मगर समाज के लोगों ने उनकी मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी, यही कारण है कि एक-दो वक्त को छोड़कर लगभग हर दिन खाना आसानी से मिल गया। ढाबे वालों ने तो चाय भी मुफ्त में पिला दी।

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