क्यों लिखी जाती है रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर ‘समुद्र तल से ऊंचाई’? जानिये इसका मतलब
देश के लगभग सभी छोटे बड़े रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर समंदर तल से ऊंचाई लिखा होता है। ये संकेत उस स्टेशन से गुजरने वाले सभी यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा होता है।
भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क और एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारतीय रेल 160 वर्षों से भी अधिक समय से भारत के परिवहन क्षेत्र का लाइफलाइन रहा है। एक गंतव्य से दूसरे गंतव्य तक ट्रेनों में यात्रा करते समय, आपने रेलवे स्टेशनों पर अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय भाषा में रेलवे स्टेशन के नाम लिखा हुआ देखे होंगे। रेलवे स्टेशन के नाम के बोर्ड के निचले हिस्से पर उस स्टेशन से समंदर तल की ऊंचाई का भी उल्लेख होता है। जैसे MSL 214-42 Mts । ये संख्या प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर अलग-अलग होती है। क्या आपको इस MSL का मतलब पता है, अगर नहीं तो आइये हम बताते हैं।
ड्राइवर के लिए संकेत:
देश के लगभग सभी छोटे बड़े रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर समंदर तल से ऊंचाई लिखा होता है। आमतौर पर एक आम यात्री को इससे कोई लेना-देना नहीं होता लेकिन ये संकेत किसी भी लोको पायलट (Train Driver) और गार्ड के लिए बेहद जरूरी होता है। क्योंकि ये संकेत उस स्टेशन से गुजरने वाले सभी यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा होता है।
सही ऊंचाई जानने में मदद करता है समुद्र तल:
हमारी धरती कहीं ऊंची है तो कहीं नीची भी है। पृथ्वी गोल है, जिसके कारण पृथ्वी की सतह पर थोड़ा-थोड़ा कर्व आता है। इसलिए, पृथ्वी की एक समान ऊंचाई जानने के लिए समुद्र तल की ऊंचाई की मदद ली जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि समुद्र तल की ऊंचाई विपरीत परिस्थितियों में भी ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होती है। लिहाजा, धरती पर मौजूद किसी भी स्थान की ऊंचाई का पता लगाने के लिए समुद्र तल एक सटीक जरिया है।
समुद्र तल से स्टेशन की ऊंचाई को प्रमुखता से लिखने का कारण:
ट्रेन को किसी भी स्थान पर खींचने के लिए इंजन अपनी पावर और टॉर्क का इस्तेमाल करता है। समुद्र तल से स्टेशन की ऊंचाई लिखे होने के वजह से ड्राईवर आसानी से यह अंदाज़ा लगा सकता है कि इस 150 मीटर की अधिक चढ़ाई को चढ़ने के लिए इंजन को कितने टॉर्क की जरुरत पड़ेगी यानी इंजन को कितनी पॉवर देनी पड़ेगी। इसी प्रकार से अगर ये ट्रेन नीचे की और जाएगी तो नीचे आते वक्त ड्राईवर को कितना फ्रिक्शन लगाने की जरुरत पड़ेगी। इसके अलावा ‘समुद्र तल की ऊंचाई’ की सहायता से ही ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक समान ऊंचाई देने में भी मदद मिलती है, ताकि बिजली के तार ट्रेन के तारों से हर समय सटे रहें।
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