रेलवे की बेहतरी के लिए खून-पसीना एक किया : प्रभु

0

चार दिन, दो हादसे दर्जनों ट्वीट, नैतिकता के नाम पर रेलमंत्री का इस्तीफे की पेशकश और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए.के. मित्तल का इस्तीफा। रेलमंत्री को इंतजार का निर्देश, वहीं नए चेयरमैन की नियुक्ति। यह सब कुछ उसी रफ्तार से हुआ, जिस रफ्तार से उत्कल हादसे के बाद रेलवे प्रशासन की नाकामियां उजागर हुईं।

10 डिब्बे फिर उतरे, एक पलटा और लगभग 74 लोग घायल हो गए

कुछ सुधर पाता, उससे पहले कैफियत एक्सप्रेस दुर्घटना ने नाकामियों की इंतिहा ही उजागर कर दी।
मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात करीब पौने तीन बजे औरैया जिले के पाटा और अछल्दा स्टेशन के बीच पटरी पर पलटे एक बालू भरे डंपर से टकराना बड़ी नाकामी है। 10 डिब्बे फिर उतरे, एक पलटा और लगभग 74 लोग घायल हो गए।

read more :  ‘गडकरी’ को मिल सकता है रेल मंत्रालय !

सवाल फिर वही कि डिजिटल इंडिया कहें या न्यू इंडिया, रेल पटरी पर कब आएगी? सुरेश प्रभु के ट्वीट की भाषा पर गौर करें तो उनकी भावनाओं के साथ पीड़ा भी झलकती है- “मैं दुर्भाग्यपूर्ण हादसों से गहरे सदमे में हूं, कई यात्रियों की जान गईं और बहुत से जख्मी हुए। मुझे गहरा सदमा लगा है। प्रधानमंत्री जिस नए भारत की कल्पना करते हैं, उसमें निश्चित रूप से रेलवे को आधुनिक व सक्षम होनी चाहिए। कहना चाहता हूं कि रेलवे उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।”

सवाल फिर वही कि क्या रेलवे ऐसे आगे बढ़ेगा? नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए प्रभु ने आगे जो कहा, वह हताशा झलकाती है- “दशकों से उपेक्षित क्षेत्रों में खामियों को दूर करने की कोशिश हुई है, उसके लिए व्यापक निवेश की जरूरत है। लेकिन खुद की पीठ थपथपाने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा, “मैंने रेलवे की बेहतरी के लिए अपना खून-पसीना एक कर दिया।”

read more : हरितालिका तीज : शिव मंदिरों में भक्तों की धूम

एयर इंडिया पर वर्तमान में 52000 करोड़ रुपये का कर्ज है

रेल हादसों के बाद नैतिकतापूर्ण जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने वालों में लाल बहादुर शास्त्री, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी का नाम शामिल है। संभव है, इस कतार में प्रभु का नाम भी शामिल हो जाए। अब अश्विनी लोहानी को नया चेयरमैन बनाया गया है, जो अब तक एयर इंडिया के चेयरमैन थे। दो महीने पहले ही चर्चाएं थीं कि एयर इंडिया के निजीकरण के लिए सरकार 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खुद रखेगी और 49 प्रतिशत निजी निवेशकों को बेच सकती है। एयर इंडिया पर वर्तमान में 52000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

मोदी सरकार को आईना दिखाना चाहता है

अब यदि प्रभु का इस्तीफा स्वीकारा जाता है, तो देश में बुलेट ट्रेन के सपने का क्या होगा? अगले महीने हमारे प्रधानमंत्री और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे मिलकर मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखेंगे, जिसकी रफ्तार 350 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। सुरेश प्रभु कह चुके हैं कि वर्ष 2023 तक अहमदाबाद-मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन दौड़ने लगेगी, अब उसका क्या होगा? विपक्ष है कि 28 रेल हादसे, 259 यात्रियों की मौत, 973 घायलों का आंकड़ा गिनाकर, मोदी सरकार को आईना दिखाना चाहता है।

लोहानी के लिए  रेलवे ट्रैफिक को सुधारने की जिम्मेदारी कितनी कामियाब होगी

अब प्रभु व्यापक निवेश और खामियों की बात कह पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं। देखने वाली बात यही होगी कि रेलवे के नए चेयरमैन के रूप में कुर्सी संभाल रहे आसमान के ट्रैफिक को कंट्रोल करने वाले अश्वनी लोहानी के लिए धरती पर रेलवे ट्रैफिक को सुधारने की जिम्मेदारी कितनी कामियाब होगी। चाहे कुछ भी हो, रेल हादसा रुकना चाहिए, बुलेट ट्रेन से पहले यात्रियों को चल रही ट्रेनों की सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए। फिलहाल तो यही कहना ठीक होगा कि ‘ये है प्रभु की रेल न कोई पास न कोई फेल!’

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More