अपने डांस और अदाओं से लाखों करोड़ों दिलों को जीतने वाली हरियाणवी डांसर सपना चौधरी (SapnaChaudhary) ने अब बॉलीवुड सिनेमा में एंट्री मार दी है। उनकी पहली फिल्म दोस्ती के साइड इफेक्ट्स रिलीज हो चुकी है। फिल्म में सपना कॉलेज स्टूडेंट के किरदार में है।
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सपना चौधरी की शोहरत को भुनाने के लिए निर्देशक हादी अली अबरार ने दोस्ती के साइड इफेक्ट्स बना तो डाली, मगर दिक्कत यह हुई कि सपना को कॉलेज स्टूडेंट, डांसर, पुलिसवाली जैसे हर रूप में फिट करने के चक्कर में कहानी में इतने टर्न और ट्विस्ट डाले कि सभी किरदार हास्यास्पद बन कर रह गए।
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सृष्टि (सपना चौधरी), रणवीर (विक्रांत आनंद), गौरव (जुबैर ए. खान) और अवनी ( अंजू जाधव) बचपन से बहुत ही करीबी दोस्त रहे हैं, मगर हालात के कारण उन्हें बिछड़ना पड़ता है। कॉलेज में किस्मत उन्हें एक बार फिर मिलवाती है और उस वक्त वे अपने अतीत और भविष्य पर दिल खोलकर बातें करते हैं।
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सृष्टि के ईमानदार पिता को पेपर लीक करने के झूठे केस में फंसा कर आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया गया था, तो उसका एक ही सपना है, पुलिसवाली बनकर अपने परिवार पर लगे दाग को मिटाना। रणवीर और उसकी मां को बचपन में उसके एमएलए पिता (साई बल्लाल) ने दूसरी पत्नी और उसके सौतेले भाई के लिए छोड़ दिया था, तो अब रणवीर का मकसद है कि बड़ा राजनेता बनकर अपने पिता से बदला लेना।
गौरव अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाना चाहता है तो अवनी किसी पैसे वाले से शादी करके सेटल हो जाना चाहती है। कॉलेज में होनेवाले इलेक्शन के दौरान चारों दोस्तों के बीच गलतफहमी हो जाती है और उसके बाद कहानी एक ऐसे कलाइमैक्स पर पहुंचती है, जहां आप भौंचक्के होकर सोच में पड़ जाते हैं कि यह क्या हो गया।
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दोस्ती पर इससे पहले भी कई फिल्में बनी हैं, मगर निर्देशक हादी अली अबरार ने बेसिर-पैरवाली दोस्ती की कहानी को लचर स्क्रीनप्ले और ऊट-पटांग चरित्रों से भरकर फिल्म का सारा मजा किरकिरा कर दिया। निर्देशक कहानी, पात्र, गीत-संगीत जैसे किसी भी पक्ष पर अपनी पकड़ नहीं बना सके हैं। सपना चौधरी को हीरोइक बनाने के साथ-साथ उन्होंने हर किरदार के इतने रंग दिखाए कि हर किरदार उनके नियंत्रण से बाहर हो गया।
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क्लाइमैक्स में दर्शकों को शॉक ट्रीटमेंट देने के चक्कर में वे उसे फनी बना बैठे। सृष्टि के रूप में सपना चौधरी ने पूरी कोशिश की कि वे दर्शकों का मनोरंजन कर सकें। अपने चिर-परिचित अक्खड़ अंदाज और आइटम डांस नंबर से उन्होंने कुछ हद तक दर्शकों को एंटरटेन किया भी, मगर कॉलेज स्टूडेंट के रूप में वे किसी भी तरह नहीं जमी।
चरित्र चित्रण के दोष और मेलोड्रामा के कारण कोई भी अदाकार अपने रोल के साथ न्याय नहीं कर पाया। अल्ताफ सैयद और मेनी वर्मा के संगीत में कुछ गाने और कैमरा वर्क ठीक-ठाक रहा, मगर सपना चौधरी की मौजूदगी में यह और मजबूत होना चाहिए था। कोई भी गाना उनके लोकप्रिय गानों जितना दमखम नहीं दिखा पाया।
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