हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) व्यापार के लिए नये मानक तय हुए हैं. आज से दुकानों पर बिकने वाले सोने पर लिखा होगा कि; वह कितने कैरेट का है. नियमानुसार सभी ज्वैलर्स अब सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के गोल्ड (Gold) की बिक्री कर सकेंगे.
नये नियम के मुताबिक आज से भारत में गोल्ड पर हॉलमार्क लगाना अनिवार्य हो गया है. यानी अब सोना बेचने वालों की दुकानों पर सिर्फ हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) ही बेचा जाएगा.
यह बदलाव हुआ
मतलब अब खरीदे जाने वाले सोने पर यह अंकित करना अनिवार्य होगा कि वह कितने कैरेट का है. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (Bureau of Indian Standards/BIS/बीआईएस) यानी भारतीय मानक ब्यूरो ने हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) विक्रय को आम लोगों के हित में माना है.
बीआईएस (BIS) के मुताबिक; इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि; खरीदा जाने वाला सोना (Gold) कितनी गुणवत्ता का है.
14, 18 और 22 कैरेट हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold)
आपको बता दें हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) स्वर्ण की शुद्धता का एक सर्टिफिकेट है. नये नियम के मुताबिक गोल्ड ज्वैलर्स सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट वाला हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) ही बेच सकेंगे.
गौरतलब है कि; बीआईएस ने अप्रैल 2000 से गोल्ड हॉलमार्किंग स्कीम शुरू की है. इसमें विक्रेताओँ की सुविधा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी जारी है.
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वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WCG/डब्ल्यूजीसी) यानी विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के मान से भारत में लगभग चार लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से 35,879 ज्वैलर्स बीआईएस प्रमाणित हैं.
हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) के फायदे
बगैर हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) बेचने पर एक साल की जेल के अलावा स्वर्ण आभूषण की कीमत से पांच गुना राशि तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
आपको बता दें, प्रत्येक कैरेट के हॉलमार्क स्वर्ण पर हॉलमार्क नंबर अंकित किया जाता है. इसमें 22 कैरेट के लिए 916 नंबर, 18 कैरेट के लिए 750 जबकि 14 कैरेट के लिए पहचान संख्या 585 दर्ज की जाती है.
इन अंकों से पता चल जाता है कि हॉलमार्क सोना कितने कैरेट का है. घर में सुरक्षित सहेजा गया सोना इससे अलग रहेगा. स्वर्ण आभूषण, कलाकृतियों पर हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) की गुणवत्ता दर्शाने संबंधी आदेश इस वर्ष 15 जनवरी को जारी किया गया था.
हालांकि गैर-हॉलमार्क आभूषणों के पुराने स्टॉक को हटाने के लिए अंतिम तिथि बढ़ाकर एक जून 2021 कर दी गई. कोरोना महामारी के कारण अंतिम समय सीमा को 15 दिन और आगे बढ़ाया गया था.
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