Gyanvapi : हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

काशी के चर्चित ज्ञानवापी विवाद प्रकरण में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई.

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ज्ञानवापी मामला अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के खिलाफ ज्ञानवापी मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति दे दी है. मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है जिसमें कहा गया था कि मंदिर के जीर्णोद्धार का मुकदमा सुनवाई योग्य है. अब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

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काशी के चर्चित ज्ञानवापी विवाद प्रकरण में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई. ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 दिसम्बर के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसमें हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया था. जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें यह कहा गया था कि मंदिर के जीर्णोद्धार सम्बंधी वाद सुनवाई योग्य है.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी समेत अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने दी है चुनौती

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर इन याचिकाओ में ज्ञानवापी मस्जिद की जगह मन्दिर की बहाली की मांग के मुकदमे को सुनवाई लायक मानने के निचली अदालत के फैसले के साथ साथ एएसआई सर्वे की अनुमति को भी चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से हुजैफा ने कहा कि यह पुराना वाला मामला है. बाकी याचिकाएं लिस्ट नहीं हुई हैं. इसलिए उन्हे भी एकसाथ सुना जाय. फिर हुजैफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई टालने की मांग की. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने मुस्लिम पक्ष की मांग से सहमति जताई और कहा कि हम मूल विवाद की मेंटेनिबिलिटी के सभी याचिकाओं को एकसाथ ही सुनेंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी समेत अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें स्वामित्व की मांग वाली मुस्लिम पक्ष की पांचों याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि पूजा स्थल अधिनियम-1991 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का हस्तक्षेप ठीक नहीं है।

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