6 साल की हुई GST! वर्तमान में 1.39 करोड़ रजिस्टर्ड करदाता, 1.15 लाख करोड़ का कलेक्शन
साल 2000 में अटल बिहारी बाजपेई द्वारा एक राष्ट्र एक कर (one nation One tax) के विचार की अवधारणा रखी गई थी। इसी अवधारणा के तहत भाजपा सरकार ने एक जीएसटी समिति जीएसटी कानूनों के संबंध में मसौदा तैयार किया था। बाद में इसे ही GST के रूप में 1 जुलाई 2017 को पूरे देश में लागू किया गया था। आज जीएसटी को 6 साल पूरे हो गये हैं। आज से 6 साल पहले देश में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुई थी। आड जीएसटी के 1.39 करोड़ रजिस्टर्ड करदाता हैं। हर महीने जीएसटी से लगभग 1.15 लाख करोड़ से ज्यादा जीएसटी कलेक्शन होता है। जीएसटी का भारत सरकार के कैक्स रेवेन्यू में बड़ा योगदान भी है।
जीएसटी के 6 साल
देश में एक समय ऐसा भी था जब 1 करोड़ का जीएसटी कलेक्शन बहुत बड़ी बात होती थी। देश में टैक्स चोरी के चलते सरकार के टैक्स रेवेन्यू में प्रभाव पड़ रहा था। तब भारत सरकार ने एक राष्ट्र एक कर की विचारधारा की तर्ज पर देश में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने का फैसला किया। जिससे टैक्स पर सरकार सीधे नियंत्रण कर सकें। 1 जुलाई 2017 को देश में जीएसटी को पूरी तरह से लागू किया गया था। इसे अप्रत्यक्ष कर में सुधार के तहत लाया गया। इससे टैक्स चोरी को होने से रोकने में मदद मिलती है।
“एक राष्ट्र, एक कर” का विचार सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेई ने वर्ष 2000 में अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान प्रतिपादित किया था। इस विचार के पीछे अनुपात निर्धारण का उद्देश्य देश के कराधान ढांचे में सुधार लाना था, जिसके बाद सरकार ने एक जीएसटी समिति जीएसटी कानूनों के संबंध में मसौदा तैयार करेगी।
1.39 करोड़ हैं जीएसटी करदाता
जीएसटी लागू होने के शुरुआती दौर में देश में केवल 85,000-95,000 करोड़ रुपये का ही जीएसटी कलेक्शन होता था। लेकिन वर्तमान में हर महीने 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा जीएसटी कलेक्शन होता है। भारत सरकार के टैक्स रेवेन्यू में जीएसटी का बहुत बड़ा योगदान है। देश में 31 मई 2023 तक 1.39 करोड़ रजिस्टर्ड जीएसटी करदाता हैं। 112 करोड़ कुल रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं। 370 करोड़ ईवे बिल जनरेट किए जा चुके हैं। 370 करोड़ ईवे बिल जनरेट किए जा चुके हैं।
जीएसटी के बाद टैक्स चोरी में अंतर
जीएसी लागू होने के बाद से टैक्स चोरी के कई मामले सामने आ चुके हैं। मगर हैरत की बात ये है कि इन मामलों में चोरी करने वाले केवल बड़े करदाता शामिल हैं। जीएसटी के बढ़ते वर्षों के अंतराल के साथ-साथ ये टैक्स चोरी के मामलों में भी निरंतर गिरावट देखी जा गई है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2017 में फर्जी तरीकों से करीब तीन लाख करोड़ रुपये की टैक्स चोरी होने का अनुमान है। इसमें से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक टैक्स चोरी पिछले वित्त वर्ष 2022-2023 में ही की गई है। वहीं, वित्त वर्ष 2021-2022 में यह आंकड़ा 54 हजार करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2022-2023 में टैक्स चोरी के करीब 14 हजार मामले दर्ज किए गए हैं।
यूरोपीय वैट से लिया है GST का ढांचा
जीएसटी का समग्र ढांचा प्रचलित यूरोपीय वैट से लिया गया है। इसमें कुछ अनोखी विशेषताएं हैं, जैसे दोहरी लेवी यानी केंद्र और राज्य के पास कर लगाने की शक्ति है। लेकिन गंतव्य आधारित उपभोग कर, कुछ क्षेत्र (जैसे पेट्रोलियम, अल्कोहलिक) मानव उपभोग के लिए शराब) जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। वस्तु एवं सेवा कर का परिचय सबसे बड़े कारकों में से एक है, जो उद्योग को पुनर्जीवित करने और इसकी इष्टतम दक्षता हासिल करने में मदद करेगा। अनुपालन के मोर्चे पर, विभिन्न राज्यों में करों के भुगतान, रिटर्न दाखिल करने, रिफंड प्राप्त करने, मूल्यांकन को प्रभावित करने आदि के लिए एक मानकीकृत प्रक्रिया है।
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