सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी- MLC देवेंद्र प्रताप

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प्रदेश में आज एक और नेता ने अपनी ही सरकार पर नाराजगी जताई है. गोरखपुर – फ़ैजाबाद सीट से स्तानक सीट से MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी को पत्र लिखकर अपनी ही सरकार पर कई सवाल खड़े किए है. उन्होंने लिखा, ‘आपके प्रदेश के सुशासन और कानून व्यवस्था की हर जगह सराहना होती है, यहां तक कि राष्ट्र के बाहर भी आपके मॉडल की चर्चा होती है. लेकिन ऐसा क्या हो गया कि आपकी सरकार से प्रदेश की जनता नाराज हो गई?. जनमानस में सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बन गई है, इसके लिए जिम्मेदार नौकरशाह हैं. उनके लिए गए फैसलों से जन आक्रोश भड़क उठा है.

भुलाया गया शिक्षकों का बलिदान…

MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि- कोरोना काल में जब अपने खून के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे तब ऐसे समय में चुनावी दायित्व का निर्वाहन करने के लिए 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. लेकिन उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया. भारत को पोलियो में विश्व रिकॉर्ड दिलाने वाले शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी के नाम पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है. शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त 30 कार्य ऑफलाइन लिए जाते हैं परंतु हाजरी ऑनलाइन क्यों?

डिजिटल हाजिरी वापस लेने की सलाह…

डस्ब् ने पत्र में लिखा कि, बढ़ते हुए जन आक्रोश को रोकने के लिए डिजिटल हाजिरी के निर्णय को वापस लेना होगा. पुरानी पेंशन देने पर विचार करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में कहा कि तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवा को देखते हुए हम इन्हें बाहर करने की मंशा नहीं रखते.

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क्या शिक्षक मशीन बन गए हैं?

देवेंद्र प्रताप सिंह ने आगे लिखा है कि ‘भारत की गुरू परम्परा पुरातन काल से सर्वश्रेष्ठ रही है. “गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लाग्यो पाय ” इसमें गुरू को ही श्रेष्ठ माना गया है. प्राथमिक शिक्षक कोरोना काल में जब रक्त के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे, ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया. भारत को पोलियो में विश्व रिकार्ड दिलाने वाले शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी के नाम पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है. शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त 30 कार्य आफ लाइन लिए जाते हैं, परन्तु हाजिरी आनलाइन क्यों? क्या शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यों के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा दी जाती है? क्या शिक्षक इंसान न होकर मशीन बन गए हैं? विचारणीय प्रश्न यह है कि डिजिटल हाजिरी अन्य विभागों में क्यो नहीं?

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