केंद्र ने सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को वापस ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक को वापस लेने के लिए लोकसभा में यह कहते हुए एक प्रस्ताव रखा कि वह इस साल 3 मार्च को विधेयक लेकर आई थीं और बाद में एक अध्यादेश पारित किया गया था।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को संकटग्रस्त सहकारी बैंकों को पुनर्गठन का मौका देने वाली कुछ चीजों को जोड़ने के लिए विधेयक को वापस लिया जा रहा है, जो कि बहुत जरूरी है।
बाद में सदन ने विधेयक को वापस लेने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
इससे पहले, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नेता एन.के. प्रेमचंद्रन ने सीतारमण द्वारा विधेयक को वापस लेने के लिए यह कहते हुए विरोध किया कि अध्यादेश केवल असाधारण स्थितियों में लाया जाता है, जब सरकार कानून चाहती है लेकिन अब वित्त मंत्री विधेयक को वापस लेने के लिए आई हैं।
उन्होंने कहा, “जब आप एक विधायी प्रस्ताव लाते हैं, तो समाज के दीर्घकालिक हित को ध्यान में रखना पड़ता है। सरकार की तरफ से गंभीरता की कमी विधायी प्रक्रिया में दिखाई देती है। यह अनुच्छेद 123 की संवैधानिक शक्ति के दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है। मैं विधेयक का विरोध करता हूं।”
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