योगी सरकार का किसानों को हाईवोल्टेज झटका
यूपी सरकार ने आज बिजली की दरों को बढ़ाकर किसानों को हाईवोल्टेज का झटका दिया है। सरकार ने अब गांव के सभी घरों में मीटर को लगाना अनिवार्य करते हुये बिजली की कीमतों में बढोतरी की है।अब से किसानों को प्रति बीएचपी 150 रुपये देना होगा। यूपीईआरसी की चेयरमैन, एसके अग्रवाल ने बताय़ा कि 20 फीसदी का प्रस्ताव मिला था पर वे महज 12 फीसदी बढ़ा रहे हैं।
31 मार्च तक 300 रुपये और उसके बाद 400 रुपये लिए जाएंगे
1 करोड़ 20 लाख उपभोक्ता हैं। 4 करोड़ 2018-2019 तक होने जा रहे हैं। गरीबों को बिजली का मुफ्त कनेक्शन दिया जाना है जिससे 2 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता जुड़ेंगे। 80 फीसदी tarif ज्यादा दे रहे हैं जबकि 20 फीसदी को सब्सिडी पर बिजली मिल रही है। 65 लाख ग्रामीण उपभोक्ता बढ़कर 2 करोड़ हो जाएंगे। 6.64 रुपये बिजली का खर्च हो रहा है। गांव में मीटर नहीं लगे है। यूपीपीसीएल ने प्रस्ताव दिया था unmetered ग्रामीण उपभोक्ता से 180 रुपये लिए जाते थे, 31 मार्च तक 300 रुपये और उसके बाद 400 रुपये लिए जाएंगे।
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ग्रामीण क्षेत्र में मीटर वालों को 100 यूनिट का 50 रुपये फिक्स चार्ज और 3 रुपये प्रति यूनिट देना होगा। ग्रामीण उपभोक्ता 100 यूनिट के लिए 3.50 रुपये की दर से भुगतान करेंगे, 100 के बाद 4.50 रुपये देने होंगे और 500 यूनिट के ऊपर 5.50 रुपए प्रति यूनिट देनी होगी। फिक्स चार्ज 80 रुपये होगा। सहरी उपभोक्ता के लिए 150 यूनिट तक 4.90 रुपये, 150-300 यूनिट तक 5.40 रूपये, 300-500 यूनिट 6.20 रुपये, 500 से ऊपर यूनिट 6.50 रुपये के साथ 100 रुपये फिक्स चार्ज देय होगा।
मीटर लगवा ले हम ये चाहते हैं
ग्रामीण व्यवसायी मीटर कनेक्शन का, शहरी उपभोक्ता 300-1000 यूनिट तक 7.75 से 8 रुपये, 1000 से ज्यादा यूनिट वाले व्यवसायी से 7.95 से 8.30 देय होगा। किसान को 100 रुपये की जगह 150 रुपए बीएचपी किया गया है। मीटर लगवा ले हम ये चाहते हैं। 1 रुपये से 1.75 रुपये किया गया है प्रति यूनिट, फिक्स चार्ज 30 से 60 रुपये किया गया है।
उद्योगपतिय़ों पर करम और किसानों पर सितम कर रही है
दफ्तरों के लिए 7 रुपये से 7.80 किया गया है, 7.20 से 8.10…1000 यूनिट से ज्यादा सरकारी दफ्तर पर देय होगा। 2000 से ऊपर वाला 7.40 से 8.30 रुपये किया गया है। उद्योगों में कोई परिवर्तन नही किया गया है। अनाथालय, शेल्टर होम को 200-300 रुपये कम चुकाने होंगे क्योंकि अब ये डोमेस्टिक में आ गए हैं। सरकार के इस फैसले से तो ऐसा ही लग रहा है कि सरकार उद्योगपतिय़ों पर करम और किसानों पर सितम कर रही है।
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