25 के हुए गूगल चाचा, इन्हें पता है सबकुछ

गूगल के तीन सफर gogo से googol फिर google

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दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन Google आज 25वें वर्ष का जश्न मना रहा है। इस जश्न के पिछे 25 सालों के विकास की कहानी है इन 25 सालों के इतिहास की कहानी जानने और समझने का प्रयास करते हैं। आज से 25 साल पहले स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से Google की नींव दो दोस्तों ने मिलकर रखी। हॉस्टल के कमरे से दोनों दोस्तों ने अथक परिश्रम कर साल 1995 में इसकी नींव रखी, जिसके बाद से आजतक गूगल ने कभी पिछे मुड़कर नहीं देखा।

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से Google की पड़ी नींव

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस में 90 के दशक के अंत में दो छात्रों लैरी पेज और सर्गे ब्रिन ने पीएचडी स्टूडेंट को तौर पर दाखिला लिया। कैंपस में एक विचारधारा के जब 2 छात्र मिले तो दोनों में नजदीकियां बढ़ी और यहीं से शुरुआत हुई गूगल की दुनियां। दोनों दोस्तों ने सबसे पहले Google.stanford.edu पर एक इंटरनेट सर्च इंजन बनाया जिसका नाम BackRub रखा था बाद में इसका नाम बदलकर Google रख दिया। गूगल का दायरा बढ़ने पर दोनों दोस्तों ने 1998 में कंपनी के रुप में रजिस्टर कराया। जिसके बाद गूगल ने पिछे मुड़कर नहीं देखा 2023 में गूगल के बिना जीवन अधूरा है।

gogo से googol फिर google

गूगल के नाम पर भी एक कहानी है 1920 में महान गणितज्ञ एडवर्ड कास्नर अपने भांजे मिल्टर सिरोटा को गणित में से ऐसी संख्या को चुनने को कहा जिसमें कि 100 शून्य मौजूद हो भांजे मिल्टर सिरोटा ने gogo नाम सुझाया जिसके बाद एडवर्ड कास्नर ने एक किताब लिखी जिसमें 100 जीरो के लिए googol  शब्द का इस्तेमाल किया। 1998 में जब गूगल की शुरुआत की गई तो सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज ने googol में बदलाव करके google नाम तय किया।    1 लाख डॉलर से शुरु हुआ सफर गूगल ने सिलिकॉन बैली के निवेशकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा जिसके बाद 1998 में पहली बार एंडी बेचटोल्शेम ने लैरी पेज और सर्गे ब्रिन को 1 लाख डॉलर की मदद दी जिसके बाद दोनों दोस्तों ने गूगल इंक की आधिकारिक तौर पर शुरुआत किया। गूगल का पहला आफिस कैलिफोर्निया मैन्लो पार्क में था।

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