हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमीर विदेशी निवेशकों के लिए ‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा स्कीम शुरू करने की योजना की घोषणा की है. दूसरी ओर क्या आपको पता है कि ऐसी योजना पहले से ही कई देशों में हैं.
कई देशों में पहले से उपलब्ध है नागरिकता खरीदने की योजनाएं
ट्रंप की योजना नई हो सकती है, लेकिन दुनिया के कई देशों में पहले से ही ‘गोल्डन वीज़ा’ और ‘गोल्डन पासपोर्ट’ योजनाएं चल रही हैं. इन योजनाओं के तहत विदेशी निवेशकों को बड़े निवेश के बदले में वहां रहने और काम करने का अधिकार मिलता है.
यूके की एडवाइजरी फर्म हेनली एंड पार्टनर्स के अनुसार, 100 से अधिक देश अमीर लोगों को ‘गोल्डन वीज़ा’ देते हैं. इनमें ब्रिटेन, स्पेन, ग्रीस, माल्टा, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली आदि शामिल हैं.
क्या है ट्रंप का ‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा
ट्रंप के ‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा विदेशी नागरिक 50 लाख डॉलर (लगभग 44 करोड़ रुपये) का निवेश कर अमेरिकी निवास (ग्रीन कार्ड) और नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं. ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि यह प्रोग्राम मौजूदा EB-5 वीजा को प्रतिस्थापित करेगा. पुराने EB-5 प्रोग्राम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिकी नागरिकता के लिए कम राशि का निवेश करने की आवश्यकता थी, लेकिन इसमें कई प्रशासनिक समस्याएं थीं.
ट्रंप के अनुसार, इस योजना के तहत अमीर लोग निवेश करेंगे, टैक्स भरेंगे और नौकरियां पैदा करेंगे, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. हालांकि, इस योजना की पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आई है.
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किन देशों में कितनी कीमत पर मिल सकती है नागरिकता?
ला विडा गोल्डन वीज़ा के अनुसार, कुछ देशों में नागरिकता खरीदने की न्यूनतम लागत इस प्रकार है:
पुर्तगाल: 5 लाख यूरो (लगभग 4.5 करोड़ रुपये)
ग्रीस: 2.5 लाख यूरो (लगभग 2.28 करोड़ रुपये)
ग्रेनाडा: 2.35 लाख यूरो (लगभग 2.14 करोड़ रुपये)
तुर्की: 4 लाख डॉलर (लगभग 3.5 करोड़ रुपये)
कनाडा: 2.6 लाख डॉलर (लगभग 2.26 करोड़ रुपये)
डॉमिनिका, एंटीगुआ-बारबूडा: 2 करोड़ रुपये तक
स्पेन ने बंद की अपनी योजना
स्पेन की सरकार ने हाल ही में गोल्डन वीज़ा योजना को बंद करने की घोषणा की है. इस योजना के तहत 5 लाख यूरो या उससे अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदने पर स्पेन का वीज़ा मिलता था. 3 अप्रैल 2025 इस योजना के तहत आवेदन करने की अंतिम तारीख होगी.
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांशेज़ के अनुसार, इस योजना को बंद करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में घर सिर्फ व्यापार का साधन न बने, बल्कि नागरिकों के लिए एक अधिकार बना रहे.
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‘गोल्डन वीज़ा’ योजनाओं की आलोचना
कई वैश्विक संगठनों ने इन योजनाओं की आलोचना की है. ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने 2023 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ये योजनाएं भ्रष्ट अधिकारियों और अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बनने का एक जरिया हो सकती हैं.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भी चेताया है कि कुछ यूरोपीय देशों की ये योजनाएं असल में प्रवासन और निवेश से ज्यादा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं.
यूरोपीय संघ ने भी 2022 में ‘गोल्डन पासपोर्ट’ योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में मतदान किया था, खासकर उन देशों के लिए जिनकी यूरोप में वीज़ा-फ्री एंट्री थी.
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नागरिकता योजनाओं को लेकर उठ रहे सवाल
कुछ देशों में इन योजनाओं की समीक्षा की जा रही है. वैसे ब्रिटेन, ग्रीस और नीदरलैंड्स में हालिया वर्षों में गोल्डन वीज़ा को बंद करने की मांग उठी है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन के मुताबिक, इन योजनाओं का आर्थिक प्रभाव बेहद सीमित है और विदेशी निवेश का यह एक छोटा हिस्सा ही होता है.
गौरतलब है कि दुनिया के कई देश अमीर निवेशकों को नागरिकता बेचने की योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन इन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ट्रंप की नई योजना इस बहस को और तेज कर सकती है कि क्या नागरिकता एक अधिकार है या सिर्फ एक व्यापारिक सौदा?