शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना, संकल्प, साधना और सिद्धि का दिव्य समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सुअवसर भी है।
इस दौरान देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरुप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा-
नवरात्रि के चतुर्थ दिन शक्ति कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
देवी कुष्मांडा कुंडली में नीच के बुध को नियंत्रित करती हैं तथा अनाहत चक्र को नियंत्रित करती है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय होने के कारण भी इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
देवी कुष्मांडा की पूजा अर्चना करके नौकरी व्यापार तथा नाक कान गले से संबंधित बीमारियां दूर होती है। देवी कुष्मांडा की विशेष पूजा से वाणी प्रभावित होती है और आपकी वाणी द्वारा कार्य सिद्ध होता है।
संतरी रंग के कपड़े पहनें-
नवरात्रि के चौथे दिन संतरी रंग के कपड़े पहनें। कुष्मांडा माता का यह रंग उत्सव की रौनक को बढ़ा देता है।
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