गुमशुदा बच्चों का मसीहा बना यह ऑटो ड्राइवर
एक तरफ दिल्ली में जहां ऑटो चालकों कि मनमानी से लोग परेशान रहते हैं, वहीं एक ऑटो चालक न सिर्फ ईमानदारी से लोगों को उनकी मंजिल तक छोड़ता है, बल्कि गुमशुदा बच्चों को भी मुफ्त में उनके घर तक पहुंचाता है। कुछ महीनों पहले अनजाने में ही नेहरु प्लेस से शुरु हुआ यह नेक सिलसिला अब भी जारी है।
बेसहारों का सहारा
संगम विहार के रहने वाले 40 वर्षीय अनिल कुमार की जिंदगी सुबह आठ बजे से शुरू होती है। सुबह से यात्रियों और सवारियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के अलावा उन्होंने एक और जिम्मेदारी उठा ली है। उनकी नजरें उन भूले-भटके और असहाय बच्चों को ढूंढती रहती हैं, जिन्हें मदद की दरकार होती है। जब भी कोई ऐसा बच्चा मिलता है तो वे उसे ऑटो रोककर उससे पूछताछ करते हैं, अगर वह अपना रास्ता भूल गया है, तो उस बच्चे को उसके घर तक पहुंचाने की भरपूर कोशिश करते हैं।
अनिल से पुलिस भी प्रभावित
अनिल कुमार को क्षेत्रिय पीसीआर स्टाफ, यातायात पुलिस और अन्य बीट के अधिकारी भी अच्छी तरह से जानते हैं। दक्षिण-पूर्व के डीसीपी के मुताबिक अगर सभी नागरिक कुमार की तरह ही सक्रिय होकर, मददगार के रूप में शामिल हो जाए, तो निश्चित रूप से अपराधों को रोका जा सकता है। कुमार के इन नेक कार्यों को देखते हुए उन्होंने अनिल का नाम एक विशेष पुरस्कार के लिए नामित किया है।
पुलिस को देते हैं सूचना
खास बात ये है कि कुमार पुलिस के संपर्क में रहते हैं। जो बच्चे गुम हो जाते हैं कुमार पुलिस से उन बच्चों की जानकारी साझा करने को कहते रहते हैं। उसके बाद वे खुद सड़कों पर वैसे बच्चों की तलाश करते रहते हैं, ताकि वे उन बच्चों को उनके परिवार से मिला सकें। जब भी कोई बच्चा किसी क्षेत्र में गुम हो जाता है, तो उसकी जानकारी कुमार को हो जाती है। कहीं न कहीं सड़कों पर कुमार उस बच्चे के मिलने की उम्मीद में घूमते रहते हैं।
निभा रहा कर्तव्य
कुमार का कहना है कि इन दिनों कई तरह की घटनाओं में बच्चों के शामिल होने की बात से मैं डर जाता हूं। शहर को सुरक्षित बनाने में हर नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण है। मैं कोई असाधारण काम नहीं कर रहा हूं। मैं तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभा रहा हूं।
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