90 से ज्यादा देशों पर फिरौती के लिए बड़ा साइबर हमला

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शुक्रवार को कई देशों में साइबर अपराधियों ने अस्पतालों, टेलिकॉम फर्म और कई दूसरी कंपनियों को फिरौती के उद्देश्य से निशाना बनाया, जिससे कई देशों में हड़कंप मच गया। हैकर्स ने अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर इतने बड़े पैमाने पर साइबर अटैक किया। 

इससे बड़ा साइबर हमला इसके पहले सुना नहीं गया था। इससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। यह हमला कई देशों में साइबर अपराधियों ने अस्पतालों, टेलिकॉम फर्म और कई दूसरी कंपनियों को फिरौती के उद्देश्य से किया। मजे की बात यह कि हैकर्स ने अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर इतने बड़े पैमाने पर साइबर अटैक किया।

माना जा रहा है कि अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जिस तकनीक का इस्तेमाल करती थी वह इंटरनेट पर लीक हो गई थी और हैकर्स ने उसी तकनीक का इस्तेमाल किया है। इससे भारत में भी हड़कंप मच गया है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी खतरे से आगाह कर दिया है। भारतीय अस्पतालों में भी सुरक्षा के तमाम उपाय खोजे जा रहे हैं।

इस साइबर हमले से ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस बुरी तरह प्रभावित हुई है। हमले के शिकार अस्पतालों के वार्ड और इमरजेंसी रूम बंद कर दिए हैं। यही नहीं ब्रिटेन की तरह ही स्पेन, पुर्तगाल और रूस में भी साइबर हमले हुए। 90 से ज्यादा देश इस साइबर हमले की चपेट में आए हैं। सुरक्षा फर्म कैस्परस्की लैब और अवेस्टसेड ने इस हमले के लिए जिम्मेदार मैलवेयर की पहचान की है। दोनों सुरक्षा फर्मों का कहना है कि इस साइबर हमले से रूस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। हैकर्स नेदफिरौती के रूप में बिटकॉइन की मांग की है। फिरौती की मांग वाले स्क्रीन शॉट्स भी साझा हो रहे हैं।

ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम और कई अन्य देशों में रेनसमवेयर साइबर हमलों की खबर है। इसका असर इंग्लैंड के अस्पतालों पर भी पड़ा है। इस अटैक से नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से जुड़े कंप्यूटर्स को निशाना बनाया गया है। साइबर अटैक के तहत हैकर्स ने लंदन, ब्लैकबर्न और नॉटिंघम जैसे शहरों के हॉस्पिटल और ट्रस्ट के कंप्यूटर्स ने काम करना बंद कर दिया है।

जानकारी के अनुसार वहां के डॉक्टर्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि हमारे अस्पताल बंद हैं। उनके मुताबिक उन्हें मैसेज मिला है जिसमें लिखा है कि कंप्यूटर को खोलने के लिए पैसे देने होंगे। इस मैसेज के बाद सिस्टम पर कुछ काम नहीं हो सकता है। बताया जा रहा है जो भी कंप्यूटर कथित तौर पर साइबर अटैक शिकार हुए हैं उसे खोलने पर फाइल रिकवर करने के बदले 300 डॉलर बिटक्वाइन की मांग की गई है।

रूस के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने ‘रैंसमवेयर’ अटैक की पुष्टि की है। दरअसल रैंसमवेयर एक तरह का मैलवेयर है जो प्रभावित कंप्यूटरों के डेटा को एनक्रिप्ट कर देता है और इसके जरिए साइबर अटैकर डिजिटल करंसी में फिरौती मांगते हैं। खबरों के मुताबिक, ब्रिटेन के जिन अस्पतालों के कंप्यूटर्स हैक हो रहे हैं, उनमें ज्यादातर विंडोज एक्सपी पर चलते हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने इस आॅपरेटिंग सिस्टम का सपोर्ट पहले ही बंद कर दिया है, इसलिए इसे यूज करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

हैकर्स का कहना है कि पैसे देने में जितना समय लगेगा फिरौती की रकम उतनी बढ़ेगी और ज्यादा टाइम होने पर सभी फाइल्स को डिलीट कर दिया जाएगा। हैकरों ने रकम की मांग बिटक्वाइन के रूप में की है। बिटक्वाइन को हैकर्स अपने रैंजम के तौर पर यूज करते हैं ताकि उन्हें आसानी से ट्रेस न किया जा सकेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अगर कोई इमरजेंसी नहीं है तो फिलहाल मरीज अस्पताल न आएं।

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