मूडीज का अनुमान, शून्य रह सकती है आर्थिक विकास दर
पहले की तुलना में कम रहेगी जीडीपी की वृद्धि
नयी दिल्ली : कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत की आर्थिक विकास दर GDP को कम कर दिया है। मूडीज ने तो इसे शून्य कर दिया है।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर शून्य फीसदी कर दिया है। मूडीज के अनुसार, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कम रहेगी।
एजेंसी ने कहा कि भारत की रेटिंग पर नेगेटिव आउटलुक से जोखिम बढ़ रहे हैं और आर्थिक, संस्थागत मुद्दों के लिहाज से GDP की वृद्धि पहले की तुलना में काफी कम रहेगी।
नवंबर में किया था नेगेटिव
इससे पहले नवंबर 2019 में एजेंसी ने भारत के आउटलुक को स्थिर से नेगेटिव में बदल दिया था। हालांकि, एजेंसी ने देश की ‘Baa2’ रेटिंग की पुष्टि की थी। अब एजेंसी ने कहा कि भारत की क्रेडिट प्रोफाइल को देश की बड़ी और विविध अर्थव्यवस्था और स्थिर घरेलू वित्त पोषण का समर्थन प्राप्त है।
ग्रामीण घरों में लंबे समय तक वित्तीय तनाव, कमजोर रोजगार सृजन और गैर बैंक वित्तीय संस्थानों के बीच क्रेडिट संकट ने इसके कमजोर पड़ने की संभावना को और अधिक बढ़ा दिया है।
कोरोना से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित
कोरोना वायरस के चलते अर्थव्यवस्था की हालत पतली हो रही है, साथ ही आंशिक रूप से लंबे समय से चली आ रही आर्थिक और संस्थागत कमजोरियों ने भी अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है।
क्या कहती हैं अन्य एजेंसियां
मालूम हो कि विश्व बैंक के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर GDP 2020-21 में 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी रह सकती है। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि दर होगी।
एशियाई विकास बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर GDP 2020-21 में चार फीसदी रहने का अनुमान जताया।
सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने भी 2020-21 में GDP का अनुमान 5.2 फीसदी से कम कर 3.1 फीसदी कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को भारत की वृद्धि दर 1.9 फीसदी रहने तथा विश्वबैंक को 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की GDP का अनुमान घटाकर 1.8 फीसदी कर दी थी। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण आई वैश्विक महामारी के मद्देनजर यह कटौती की गई। एजेंसी के अनुसार, यह 2021-22 में बढ़कर 7.5 फीसदी रह सकता है।
फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती कर इसे घटाकर 0.8 फीसदी कर दिया है।
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