सात साल बाद सबसे निचले स्तर पर पहुँची जीडीपी विकास दर

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देश के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गिरावट दर्ज की गयी है, जिसके तहत सकल घरेलू उत्पाद की दर बीते सात सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गयी है। ग़ौरतलब है कि, इससे पहले साल 2012 अप्रैल-जून महीने में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर में 4.9% दर्ज की गयी थी। ज्ञात हो कि, विकास दर लगातार चौथी तिमाही में कम हुई है। बताया जा रहा है कि, ऑटो बिक्री, एयर ट्रैफिक घटने और कोर सेक्टर की सुस्ती से विकास दर घटने का पहले से अनुमान लगाया गया था।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में गिरावट और कृषि उत्पादन में कमी का पड़ा असर:

मौजूदा वित्त वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर (ग्रोथ रेट) घटकर 5% रह गई है। ज्ञात हो कि, यह 7 साल में सबसे कम है। इससे पहले विकास दर अप्रैल-जून साल 2012 में अपने निचले स्तर पर थी। जानकारों की मानें तो, पिछली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में गिरावट और कृषि उत्पादन में कमी का जीडीपी ग्रोथ पर ज्यादा असर हुआ है।

पिछली पाँच तिमाहियों में विकास दर की स्थिति:

तिमाही                                                                  जीडीपी ग्रोथ रेट

अप्रैल-जून 2018                                                  8%

जुलाई-सितंबर 2018                                          7%

अक्टूबर-दिसंबर 2018                                        6.6%

जनवरी-मार्च 2019                                               5.8%

अप्रैल-जून 2019                                                    5%

सरकार RBI से ले रही आर्थिक मदद:

ग़ौरतलब है कि, देश में मंदी की आहट के बीच सरकार ने आरबीआई के फ़ंड को इस्तेमाल करने की योजना बनायी है। जिसके तहत आरबीआई ने सरकार को एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए दिए हैं। ज्ञात हो कि, इससे पहले सरकार और  आरबीआई के बीच फ़ंड को लेकर काफ़ी तनातनी भी हुई थी। जिसके बाद विमल जालान कमेटी की सिफ़ारिशों पर आरबीआई राज़ी हो गया था।

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