कूड़ा बेंचने वाली ये छोटी लड़की है इस अखबार की संपादक
भगवान हर इंसान को एक जैसे ही प्रतिभा देते हैं, मगर जो व्यक्ति उस टैलेंट का सही उपयोग करता है वो सफल हो जाता है, वहीं जो लोग उसे पहचान नहीं पाते वह वहीं के वहीं रह जाते हैं। हालांकि, किसी भी बच्चों की सफलता को उसके आर्थिक स्थिति के पैमाने से नहीं मापा जा सकता है। ऐसा ही उदाहरण पेश किए हैं दिल्ली के इन छोटे बच्चों ने, जिन्हें देखकर आज बड़े से बड़ा पत्रकार भी हैरान हैं।
बच्चों ने शुरू किया अखबार
जी हां, दिल्ली में कुछ मजदूर बच्चे जो सड़क पर काम करते थे, अचानक उन लोगो ने मिलकर अपना एक अखबार निकालना शुरू कर दिया। इस अखबार का नाम ‘बालकनामा’ है। बच्चों द्वारा संचालित यह न्यूजपेपर राजधानी दिल्ली के गौतम नगर से चलाया जा रहा है। इस अखबार के पत्रकार बच्चे ही हैं और बच्चे ही मिलकर इस अखबार को प्रकाशित करते हैं। इस अखबार की शुरुआत चांदनी चौक में कचरा उठाने वाली एक बच्ची ने की है।
कचरा उठाती है संपादक
‘बालकनामा’ अखबार के मुख्य संपादक का नाम चांदनी हैं, जिसने पांच साल की उम्र से ही अखबार चलाने का काम शुरू कर दिया। पिता के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी चांदनी के नाजुक कंधों पर आ गई। जिसके बाद परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उसने कूड़ा-कचरा उठाने का काम शुरू कर दिया, जो संपादक बनने के बाद भी जारी है।
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चार राज्यों में फैला नेटवर्क
इस अखबार की सारी खबर कचरा उठाने वाले बच्चे ही लाते हैं। 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इस अखबार में सलाहकार बना दिया जाता है। वर्तमान में इस अखबार का नेटवर्क दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाण तक फैला हुआ है। इस अखबार में बच्चो पर हो रहे अत्याचार और जुर्म की खबरें प्रमुखता से छपती है।
10 हजार जुड़ चुके हैं बच्चे
इस अखबार के साथ अब तक करीब 10 हजार बच्चे जुड़ चुके हैं, जो बच्चे लिखना नहीं जानते वे अपनी खबर बोलकर बताते है। इस अखबार में इन बच्चो की मदद चेतना नामक एनजीओ करता है। कई बार बच्चे यह अखबार मुफ्त में बांट देते हैं, ताकि लोगो तक उनकी बात और अखबार के समाचार पहुंच सके। इस अखबार की कीमत मात्र दो रुपये ही है, जो बाकी अखबारों के मुकाबले काफी कम है।
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