प्रियंका जीतीं तो गांधी परिवार रचेगा इतिहास

गांधी परिवार के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब देश के संसद में पहुंचेंगे तीन सदस्य

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राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ देने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस बना रही उम्मीेदवार

भारतीय राजनीति में गांधी परिवार इतिहास रचने जा रहा है. देश की आजादी के बाद से कांग्रेस की राजनीति में यह पहली बार होने जा रहा है. यदि प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से लोकसभा का उप चुनाव जीत जाती हैं तो गांधी परिवार के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब तीन सदस्य देश की संसद में मौजूद रहेंगे. अब तक ऐसा हो न सका है. इंदिरा गांधी व संजय गांधी के रूप में दो सदस्यों ने ही एक साथ संसद में मौजूदगी सुनिश्चित की है.

बता दें कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2024 में दो सीटों से लड़े थे. एक केरल की वायनाड सीट थी, तो दूसरी यूपी की रायबरेली सीट. दोनों सीटों पर राहुल गांधी को जीत मिली है. सोमवार को राहुल गांधी ने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया है. केरल की खली हुई वायनाड सीट से प्रियंका गांघी चुनावी मैदान में होंगी क्योंदकि कांग्रेस ने लोकसभा के उप चुनाव में इस सीट से प्रियंका गांधी को ही उम्मींदवार बनाया है. वायनाड सीट कांग्रेस के लिए सेफ माने जाने लगी है. अगर यहाँ से प्रियंका गाँधी जीत जाती हैं तो यह पहला मौका होगा जब संसद में नेहरू- गाँधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ सनद में नजर आएंगे. वहीं, सोनिया राज्यसभा से संसद सदस्या हैं.

यूपी को मैसेज देना चाहते है राहुल…

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है. इस बार यूपी में सपा से गठबंधन में कांग्रेस ने रायबरेली हुए अमेठी समेत प्रदेश में 6 सीटें जीती है. इतना ही नहीं 2019 में अमेठी हारने के बाद यूपी से केवल एक सीट जीत सकीय थी और प्रदेश में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 6.36 प्रतिशत पर आ गया था.

वहीँ, अगर 2014 की बात करें तो प्रदेश में कांग्रेस ने दो सीटें जीती थी जो अमेठी और रायबरेली थी. वहीँ, इस बार कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 6 सीटें जीत ली.

खोई जमीन पाने पर कांग्रेस का फोकस..

उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की. इस जीत के बाद न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा, बल्कि यूपी की राजनीति में कई तरह की चर्चाओं का जन्म हुआ. यूपी में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ चुनाव लड़कर कांग्रेस ने छह सीटें जीती हैं, जिसके बाद यूपी में अपनी खोई हुई राजनीति को वापस लेने में कांग्रेस जुट गई है.

1952 से रायबरेली पर गांधी परिवार का कब्जा

बता दें कि पार्टी के इस फैसले के बाद कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने उस सीट को चुना जहां से गांधी परिवार 1952 से जीतता आ रहा. रायबरेली से राहुल के दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी पहले भी इस सीट से सांसद हुए हैं. इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने 1952 में पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इंदिरा गांधी ने 1967 से 1977 के बीच 10 साल तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, 1977 में इंदिरा गांधी को हार मिली थी.

अमेठी छोड़ सोनिया ने चुना रायबरेली

1980 में इंदिरा गांधी ने दो सीटों रायबरेली और अविभाजित आंध्र प्रदेश में मेडक से चुनाव लड़ा. दोनों सीटों पर जीत दर्ज की. इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ दी और मेडक को बरकरार रखा था. 1980 के बाद से गांधी परिवार के वफादार अरुण नेहरू, शीला कौल और कैप्टन सतीश शर्मा ने 2004 तक रायबरेली से जीत हासिल की. इनके बाद सोनिया गांधी यहां से लड़ती रहीं और 2019 तक यहीं से सांसद रहीं. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में सोनिया ने इस सीट को राहुल के जिम्मे सौंपकर यहां से प्रतिधिनित्व करने का मौका दिया, क्योंकि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और पारिवारिक विरासत रायबरेली, गांधी परिवार के लिए हमेशा से एक मजबूत गढ़ रहा है.

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बीजेपी को चुनौती देना चाहती है कांग्रेस…

राहुल गांधी का यह कदम न केवल उनकी व्यक्तिगत सियासी यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय राजनीति के लिए भी एक बड़ा संदेश है क्योंतकि यूपी, देश का सबसे बड़ा राज्य है और राष्ट्रीय राजनीति पर इसका बड़ा असर देखना को मिलता है. कहा जा रहा है कि यूपी में राहुल के रहने से बीजेपी के लिए राजनीति करना बड़ी चुनौती है क्योंकि यूपी में बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत है. इस मजबूती को 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के जरिए तोड़ने की कोशिश करेगी.

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