रवीश की कलम से : मूत्र बैंक बनाम मुद्रा बैंक

0

नितिन गडकरी ने कहा है कि हर तालुक़ा/ तहसील में मूत्र बैंक बनना चाहिए। इससे यूरिया का उत्पादन हो सकेगा और यूरिया का आयात कम होगा। उन्होंने कहा कि ये आइडिया बहुत ही आरंभिक स्तर पर है और वे स्वीडन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कुछ कर रहे हैं।
वैसे पेशाब सिर्फ गाँव के किसान तो नहीं करते हैं…
ख़बर पढ़ कर लगा कि मूत्र बैंक का आइडिया स्वदेशी वैज्ञानिकों का होगा जबकि मंत्री जी तो स्वीडन की बात कर रहे थे। हमारे स्वदेशी वाले मूत्र बैंक भी नहीं बना सकते ?वैसे जब आइडिया आरंभिक स्तर पर है तो यह सब प्लान कैसे बन गया कि किसानों को दस लीटर के कनस्तर में पेशाब भर कर तालुक़ा केंद्र ले जाना होगा। गडकरी जी का यह बयान टाइम्स आफ इंडिया के पेज 14 पर छपा है। वैसे पेशाब सिर्फ गाँव के किसान तो नहीं करते हैं, जो किसान नहीं हैं वो भी करते हैं और जो गाँव में नहीं रहते हैं वो भी करते हैं।अगर ऐसा है तो ये बैंक दिल्ली जैसे शहर में होना चाहिए।
also read : सिर्फ हार्दिक ही नहीं, इन नेताओं की सीडी भी हो चुकी है वायरल…
लोग कनस्तर में पेशाब लेकर दफ़्तर के लिए निकलेंगे और रास्ते में बने मूत्र बैंक में जमा कर देंगे। महानगरों में सार्वजनिक मूत्रालयों को पाइप लाइन से जोड़कर सीधा बैंक मैनेजर के टेबल पर पहुँचा दिया जाएगा। जब आइडिया ही आज़माना है तो क्यों न बड़े शहरों को भी तकलीफ दी जाए। किसान कहाँ कनस्तर में दस लीटर पेशाब लेकर तालुक़ा तालुक़ा घूमते रहेंगे। शहरों में तो आराम से कलेक्शन सेंटर भी बन सकता है।
मूत्र बैंक पर तो अभी बयान ही आया है
वैसे उसी टाइम्स आफ इंडिया में छपा है कि बैंकों के कुल मुनाफ़े में 18 फीसदी की गिरावट आई है। मूत्र बैंक नहीं मुद्रा बैंक का लाभ घटा है। मूत्र बैंक पर तो अभी बयान ही आया है। ऐसे बयान शहरों के लिए क्यों नहीं होते हैं ?गूगल सर्च के दौरान नेशनल ज्योगराफिक की साइट पर मानव मूत्र से यूरिया बनाने पर लंबा लेख है। मानव मूत्र से यूरिया बनाने को Peecycling कहा जाता है।
also read : भारत के इस लड़के ने खरीद लिया देश, कर रहा है राज
1867 से इस पर काम हो रहा है। 2014 के नवंबर में एम्सटर्डम में सार्वजनिक रूप से दिखाया गया कि इसे कैसे किया जा सकता है। वहाँ की जल निकाय संस्था वाटरनेट ने पुरुषों के मूत्र संग्रह हेतु संग्रह केंद्र बनाए थे। उसके बाद इसका कितना व्यापक रूप बना, पता नहीं चल पाया।science news for student नाम की वेबसाइट पर एक भारतीय वैज्ञानिक सुरेंद्र प्रधान का ज़िक्र मिला जो फ़िनलैंड की Aalto University में काम करते हैं जिन्होंने घाना में काम करने के दौरान सोचा कि इस पर रिसर्च करते हैं।
गडकरी परिवहन मंत्री हैं, मूत्र बैंक का आइडिया दे रहे हैं
इसके अलावा कुछ ठोस नहीं मिला मगर यह बात ज़ोर शोर से कही गई है कि मानव मूत्र में व्याप्त नाइट्रोजन से यूरिया बननी चाहिए।उर्वरक मंत्री अनंत कुमार हैं। उनके नाम से इस विषय पर सर्च किया तो कुछ नहीं मिला।गडकरी परिवहन मंत्री हैं, मूत्र बैंक का आइडिया दे रहे हैं ताकि लोगों को लगातार स्वपनभोग कराते रहा जाए।अलबत्ता 18 फ़रवरी 2011 के टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ख़बर छपी है कि तिरुचिलापल्ली से 35 किमी दूर मसीरी में देश का पहला मूत्र बैंक बना है।
also read : तुगलक ने भी की थी नोटबंदी : यशवंत
इस बैंक के बाद दूसरा बैंक बना है, गूगल से नहीं पता चला। स्कोप की साइट पर उसी का फोटो है। पता नहीं वह बैंक घाटे में है या मुनाफ़े में ! लोगों ने पेशाब करना तो बंद नहीं किया होगा।इस प्रोजेक्ट में आई आई टी दिल्ली के साथ स्कोप नाम की संस्था और नीदरलैंड का एक एनजीओ शामिल है। फिर गडकरी जी स्वीडन के वैज्ञानिकों की क्या बात कर रहे हैं ।
स्वीडन का सम्मान और स्वदेशी का अपमान
गूगल से पता नहीं चला कि भारत ने स्वीडन के वैज्ञानिकों कब बात की और क्या बात की? परिवहन मंत्री गडकरी ने बात की या उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने बात की। जब हमारे बाबा लोग गौ मूत्र से इतना कुछ बना ले रहे हैं तो मानव मूत्र से यूरिया बनाने के लिए हम स्वीडन के वैज्ञानिकों से क्यों बात कर रहे हैं? स्वीडन का सम्मान और स्वदेशी का अपमान, कैसे सह रहा है हिन्दुस्तान !
                     (नोट : ये लेख रवीश कुमार के फेसबुक पेज से लिया गया है।)
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More