रामनगर की रामलीला के भरोसे गयासुद्दीन के परिवार की चार पीढी
ऐतिहासिक रामलीला में पेट्रोमैक्स से रोशनी
वाराणसी: रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला लक्खा मेले में भी शुमार है. इस ऐतिहासिक और अनोखी लीला में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल भी देखने को मिलती है. यहां धर्म और जाति के बंधन को छोड़ मुस्लिम परिवार भी रामलीला का हिस्सा बनते हैं. अपने सेवा के तौर पर वे इस ऐतिहासिक रामलीला में रोशनी करते हैं. मुस्लिम परिवार बनारस से आते हैं और यहां पर आकर रोशनी करने वाले पेट्रोमैक्स को जलाने का कार्य प्रतिदिन करते हैं. उनका यह कार्य पूरे एक माह जब तक लीला चलती है तब तक चालू रहता है.
पेट्रोमैक्सी के जरिए रोशनी
बता दे कि जब से रामलीला की शुरुआत हुई है तभी से यहां पर लीला के दौरान रोशनी पेट्रोमैक्स से की जाती है. पेट्रोमैक्स को जलाने और उसे लीला स्थल पर हर जगह लगाने का काम गयासुद्दीन का परिवार करता है. पूरे एक महीने तक गयासुद्दीन अपने बेटे के साथ इस लीला में शामिल होते हैं. गयासुद्दीन उर्फ ‘गाजी’ ने बताया कि उनका परिवार चार पीढ़ियों से यहां काम करता आ रहा है. हमारे लड़के भी हमारे साथ अब यह कार्य प्रारंभ कर दिए हैं. पेट्रोमैक्स को जलाने और उसे जगह जगह लगवाने का कार्य पूरी मेहनत और तनमैयता के साथ किया जाता है.
केरोसिन की जगह डीजल और तारपीन के तेल ने ली
गयासुद्दीन ने बताया कि पहले केरोसिन का तेल हम लोगों को उपलब्ध कराया जाता था जिसे पेट्रोमैक्स में भरकर इसे जलाने का कार्य किया जाता था. धीरे-धीरे केरोसिन आना बंद हो गया. अब उसके स्थान पर विकल्प के रूप में हम लोगों के पास डीजल रखा है. इन दोनों चीजों को मिलाकर हम लोग पेट्रोमैक्स जलाते हैं. उन्होंने बताया कि अगर हम लोग 90% डीजल लेते हैं तो उसमें 10% तारपीन का तेल डालते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह दोनों चीज मिलाने से धुआ नहीं निकलता है और पर्यावरण को ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है.
8 घंटे की लीला के दौरान करते हैं ड्यूटी
हर दिन रामलीला के लिए गयासुद्दीन और उनके बेटे रियाजुद्दीन दोपहर 2 बजे से ही इस कार्य में जुट जाते हैं. जब तक लीला चलती है तब तक यह लोग पेट्रोमैक्स जलाने उसे लगाने के कार्य में लगे रहते हैं. उन्होंने बताया कि यह लीला रात 9 बजे समाप्त होती है. उसके बाद वो अपने पेट्रोमैक्स को लीला स्थल से उतारने के बाद वापस ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें यहां रामलीला में प्रभु श्रीराम के सेवा का अवसर मिलता है जो बेहद खुशी की बात है. यह हम लोगों के लिए सौभाग्य की बात है.
अन्य मेलो में भी करते है रोशनी
रामनगर के इस लीला के अलावा गयासुद्दीन का परिवार शहर के अन्य लक्खा मेला जैसे भरत मिलाप, नक्कटैया और अन्य मेलो को भी वो पेट्रोमैक्स से रोशन करते हैं. जिससे इन मेलों की ऐतिहासिकता और पुरातन स्वरूप आज भी बना हुआ है. वाराणसी में पेट्रोमैक्स जलाने वाले अंगुली पर गिनकर कुछ लोग ही बचे हैं. जिनमे से गयासुद्दीन का परिवार एक है. जो आज भी यह कार्य कर रहा है.
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पहले से कम हुई है डिमांड
गयासुद्दीन ने बताया कि रामनगर की रामलीला और अन्य मेलो में आज भी पेट्रोमैक्स की जरूरत होती है लेकिन पहले की तुलना में इसकी डिमांड अब न के बराबर है. अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए वो आज भी इस काम को करते हैं. उन्होंने बताया कि अभी भी रामनगर में प्रतिदिन इसकी रोशनी में रामलीला संपन्न होती है. यह भी अपने आप में ऐतिहासिक है.