काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आईएमएस न्यूरोलॉजी और आईएएन चैप्टर वाराणसी के तत्वावधान में के. एन. उडप्पा सभागार में चार दिवसीय आईईएस समर स्कूल का गुरूवार को शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन आईएमएस बीएचयू के डायरेक्टर प्रोफेसर एस. एन. संखवार, डीन आईएमएस डॉक्टर आर. सी. शुक्ला, डीन रिसर्च डॉक्टर गोपालनाथ, आईईएस प्रेसिडेंट डॉक्टर पी. शरद चंद्रा, आईईएस सेक्रेटरी जनरल के. पी. विनयन ने दीप प्रज्वलित और मालवीयजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया.
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इस मौके पर प्रोफेसर एस. एन. संखवार ने कहा कि पूर्वांचल ही नहीं बल्कि यूपी, बिहार, झारखंड जैसे तमाम राज्यों में मिर्गी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां है. उन्होंने मरीजों में मिर्गी के लक्षण, इलाज और उन पर शोध के लिए जोर दिया. कहा कि इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी के पदाधिकारियों के साथ यह चर्चा निःसंदेह मरीजों के इलाज और शोध कार्य में सहयोगी होगा.
मिर्गी को लेकर लगातार कार्य करने की जरूरत
उद्घाटन के बाद इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी (आईईएस) प्रेसिडेंट डॉक्टर पी. शरद चंद्रा ने कहा कि मिर्गी को लेकर लगातार कार्य करने की जरूरत है. मरीजों का हम केवल इलाज ही न करें बल्कि उन्हें जागरूक करें. मिर्गी के मरीजों के कुछ पढ़े-लिखे तीमारदारों से चिकित्सक बात करें. उन्हे लक्षण और इलाज की बातें बताएं. इस बात पर जोर दें कि ‘मिर्गी लाइलाज नहीं है‘. कुछ हद तक हम जागरूकता फैलाने में कामयाब हुए है, लेकिन परसेंटेज काफी कम है.
सुदूर क्षेत्रों में लगाये जा रहे कैम्प
बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के फैकल्टी प्रोफेसर आर. एन. चौरसिया, प्रोफेसर दीपिका जोशी, डाक्टर अभिषेक पाठक, डाक्टर आनंद, डाक्टर वरुण ने बाहर से आए न्यूरोलॉजिस्टों के साथ अपने शोध पर चर्चा की. प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आईएमएस बीएचयू का न्यूरोलॉजी विभाग प्रत्येक महीने के दूसरे और चौथे रविवार को सुदूर क्षेत्रों में निःशुल्क चिकित्सकीय कैंप लगाकर मिर्गी के मरीजों पर कार्य कर रहा है. उन्होंने विभाग के प्रकाशित शोध और जारी रिसर्च की जानकारी दी. कार्यक्रम में डॉक्टर विनीता सिंह, डॉक्टर प्रिया देव, निधि चंद्रा, दामिनी शुक्ला के अलावा सभी शोधार्थी मौजूद रहे.