जाने, कौन हैं पीसी घोष? जो बनेंगे देश के पहले लोकपाल

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लोकसभा चुनावों से ठीक पहले देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक़ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल हो सकते हैं। इसकी औपचारिक घोषणा कल हो सकती है। बता दें कि लोकपाल नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने यह फैसला लिया है। 

सरकार ने कोर्ट के आदेश और विपक्षियों के विरोध के बीच लिया फैसला:

भ्रष्टाचार के मामलों पर नकेल कसने के लिए देश में एक स्वतंत्र और मजबूत संस्था स्थापित करने के लिए साल 2013 में लोकपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि 2014 में विधेयक के लागू होने के बावजूद लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। सूत्रों के मुताबिक़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पिनाकी चंद्र घोष का नाम देश के पहले लोकपाल के लिए फाइनल कर लिया है। सोमवार तक इसकी आधिकारिक पुष्टि भी हो सकती है।

एससी के रिटायर्ड जज हैं पीसी घोष:

जस्टिस घोष 27 मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे और फिलहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य हैं। पीसी घोष इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के जज और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं।

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कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं पीसी घोष

जस्टिस पीसी घोष जिस परिवार से आते हैं वहां पिछली पांच पीढ़ियां न्यायिक क्षेत्र में काम कर रही हैं। पिता से लेकर अन्य सदस्य भी इसी क्षेत्र में काम कर रहे थे। पीसी घोष कड़े फैसले लेने के लिए भी जाने जाते हैं। बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में उन्होंने ही लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह समेत भाजपा के 13 अन्य नेताओं पर विवादित ढांचा गिराने की साजिश का केस चलाने का आदेश दिया था।

पीएम समेत उन्होंने पीसी घोष के नाम पर लगाई मुहर:

जानकारी है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुक्रवार को लोकपाल सलेक्शन कमेटी की मीटिंग में पीसी घोष के नाम पर मुहर लगी। पीएम मोदी के अलावा लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई और सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी भी इस मीटिंग का हिस्सा थे। विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भी इस मीटिंग में बुलाया गया था।

क्या करता है लोकपाल

ये जानना जरुरी है कि देश के लिए लोकपाल की क्या भूमिका है। बता दें कि लोकपाल के पास केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारियों की सेवा का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा। वह देश के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत मिलने पर उनकी जांच कराने का आदेश दे सकता है। विशेष परिस्थितियों में भ्रष्ट तरीके से कमाई गई संपत्तयों को ज़ब्त करने का अधिकार भी दे सकता है। केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए लोकपाल उतनी विशेष अदालतों का गठन करवा सकता है जितने की उसे जरूरत हो।

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