पूर्व प्रधानमंत्री का परिवार नहीं लड़ेगा इस बार चुनाव, जानें क्यों और कहां ….

यूपी: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सभी जगह तैयारियां चल रही है. लेकिन सभी दलों की नजरें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर लगी हुई है. बता दें कि प्रदेश में भाजपा के 51 उम्मीदवारों के नाम के एलान के बाद अब NDA के सहयोगी दल RLD ने भी अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है. पार्टी प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. पहली सीट बागपत और दूसरी बिजनौर है. लेकिन दोनों ही सीटों पर चौधरी चरण सिंह के परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है. बीते 47 साल में यह पहली बार है, जब चौधरी चरण सिंह के परिवार का कोई भी सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा है.

इन लोगों को बनाया उम्मीदवार-

बता दें कि यह पहला मौका है जब चौधरी परिवार से कोई मैदान में नहीं उतरा है. इस बार जयंत ने परिवार की रीत से हटकर यह परंपरा शुरू की है. RLD ने सोमवार को बागपत से राजकुमार सांगवान और बिजनौर से चंदन चौहान को प्रत्याशी घोषित किया है. लेकिन पहले चर्चा थी कि जयंत की पत्नी चुनाव माहौल में उतर सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

चुनावी मैदान में उतरा परिवार-

बता दें कि चौधरी परिवार हमेशा से चुनावी मैदान में उतरा है लेकिन इस बार इसने दूरी बना ली है. चौधरी चरण सिंह ने 1977, 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव जीता था. ये चुनाव उन्होंने बागपत सीट से ही जीते. इसके बाद उनके बेटे चौधरी अजित सिंह ने बागपत सीट से 1989, 1991, 1996, 1997, 1999, 2004, 2009 में चुनाव लड़ा और लगातार जीत हासिल करते हुए सांसद बने थे. 2009 के बाद चौधरी अजीत और जयंत चौधरी दोनों लोकसभा चुनाव लड़ते रहे. बीते लोकसभा चुनाव में अजित सिंह मुजफ्फरनगर सीट से और जयंत चौधरी बागपत से मैदान में उतरे लेकिन दोनों की हार हुई.

1977 में चौधरी परिवार ने लड़ा पहला चुनाव-

गौरतलब है कि देश में चौधरी परिवार ने साल 1977 में पहला चुनाव लड़ा. तब से लेकर आज तक चौधरी परिवार राजनीति में सक्रिय है. 1977 में सबसे पहले देश के पूर्व PM चौधरी चरण सिंह ने चुनाव लड़ा था. तब से आज तक परिवार लोकसभा का चुनाव लड़ता रहा है लेकिन इस बार वह मैदान में नहीं उतरा है.

SRK & Ram Charan: किंग खान ने साउथ अभिनेता को कहा- ‘इडली वड़ा”

जनता में अलग संदेश देने की कोशिश में RLD

बता दें कि जयंत अब अपनी खोई हुई विरासत को बचाने में लगे हैं. यही कारण है कि NDA समर्थन में मिली दो सीटों में पहली बार परिवार की परंपरागत सीट से किसी दूसरे को उम्मीदवार बनाया है. जयंत ने
डा. सांगवान को उम्मीदवार बनाकर बिरादरी में अलग संदेश देने की कोशिश की है. इस कारण यह है कि डा. सागवान लंबे समय से रालोद में हैं.

Hot this week

भारत का दुश्मन… मारा गया हाफिज का करीबी अबू कताल

Abu Kataal: भारत का एक और दुश्मन और दहशतगर्द...

खुशखबरी! लौटने वाली हैं सुनीता विलियम्स, NASA का मिशन पहुंचा ISS …

नौ महीने से अंतरिक्ष में मौजूद सुनीता विलियम्स और...

Holi Bhai Dooj 2025: भाई दूज आज, इन उपाय से भाई की होगी लंबी उम्र…

Bhai Dooj 2025: होली के अगले दिन बनाया जाने...

रान्या राव की जमानत याचिका खारिज, अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली: कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री रान्या राव सोने की...

कांग्रेस नई मुस्लिम लीग- अमित मालवीय…

Karnataka: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिमों को राज्य...

Topics

भारत का दुश्मन… मारा गया हाफिज का करीबी अबू कताल

Abu Kataal: भारत का एक और दुश्मन और दहशतगर्द...

खुशखबरी! लौटने वाली हैं सुनीता विलियम्स, NASA का मिशन पहुंचा ISS …

नौ महीने से अंतरिक्ष में मौजूद सुनीता विलियम्स और...

रान्या राव की जमानत याचिका खारिज, अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली: कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री रान्या राव सोने की...

कांग्रेस नई मुस्लिम लीग- अमित मालवीय…

Karnataka: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिमों को राज्य...

दर्ज हुआ इतिहास, सुपर ओवर में बिना रन टीम आल आउट

टी-20 क्रिकेट में टाई ब्रेकर के तौर पर सुपर...

एक-साथ पकड़े गए लड़का और लड़की, ग्रामीणों ने बजवा दी शहनाई

बिहार: प्रेम करना गलत नहीं, मगर उसे समाज के...

Kanshiram jayanti: मायावती ने दी श्रद्धांजलि, कहा- सत्ता की चाबी हासिल करना जरूरी

Lucknow: उत्तर प्रदेश में आज भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज...

Related Articles

Popular Categories