पूर्व प्रधानमंत्री का पीएम मोदी पर हमला, लगाया ये आरोप
नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण के मतदान से पहले वोटरों से खास अपील की तो दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी पर उनकी भाषा और नीतियों को लेकर जोरदार हमला भी किया. मनमोहन सिंह ने यह टिप्पणी पीएम मोदी की राजस्थान में एक भाषण के संदर्भ में की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो देश की संपत्ति ‘उन लोगों को बांट देगी जिनके ज्यादा बच्चे है.
मनमोहन सिंह ने PM पर लगाया हेट स्पीच का आरोप…
बता दें कि देश में 18वीं लोकसभा की लिए चुनाव हो रहे है. वहीँ पीएम मोदी ने अप्रैल में राजस्थान में चुनाव के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि -अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो देश की संपत्ति ‘उन लोगों को बांट देगी जिनके ज्यादा बच्चे है. अंतिम चरण में पंजाब में मतदान होना है इससे पहले मनमोहन सिंह ने एक पत्र लिख कर पीएम मोदी पर ” हेट स्पीच” का आरोप लगाया.
मोदी सरकार में खत्म हुई किसानों की आय…
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि- पीएम मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देगी लेकिन नहीं कर सकी. उनकी नीतियों ने किसानों की आय दोगुनी की जगह उनकी आय को ही ख़त्म कर दिया है. मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में किसानों की ” राष्ट्रीय औसत मासिक आय सिर्फ 27 रुपये प्रतिदिन है जबकि किसानों पर कर्ज 27000 रुपये का है.
अर्थव्यवस्था पर सरकार को घेरा…
मनमोहन सिंह ने पत्र में लिखा कि देश में पिछले 10 सालों में अर्थव्यवस्था में काफी उथल- पुथल देखने को मिला है. देश में नोटबंदी, gst और कोविद-19 के परिणांस्वरूप एक दयनीय स्थिति पैदा हुई है. 6-7 प्रतिशत से कम जीडीपी बढ़ोतरी की उम्मीद अब सामान्य बात हो गई है.’ उन्होंने 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन पर भी केंद्र सरकार की आलोचना की.
मुसीबत बन सकता है चाय के साथ नमकीन का मजा, आज ही छोड़े…
किसान आंदोलन का किया जिक्र…
मनमोहन सिंह ने लिखा कि ‘लगभग 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब से थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक इंतजार करते हुए मर गए. लाठियां और रबर की गोलियां काफी नहीं थीं, प्रधानमंत्री ने संसद में ‘आंदोलनजीवी’ और ‘परजीवी’ कहकर मौखिक रूप से भी हमारे किसानों पर हमला बोला.’ मनमोहन सिंह ने कहा, ‘उनकी एकमात्र मांग उनसे सलाह लिए बिना उन पर लगाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेना था.