महाराष्ट्र के पूर्व सीएम सुशील कुमार शिंदे ने लिया संयास, जानें किसको सौंपेगे सियासत

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कांग्रेस के दौरान में देश के गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ट नेता सुशील कुमार शिंदे ने आज सक्रिय राजनीति से संयास लेने की घोषणा की है. हालांकि, इस घोषणा के साथ ही उन्होने कहा है कि, ”अब उनकी संसदीय सीट सोलापुर से उनकी बेटी प्रणिति शिंदे अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. विजयादशमी के दिन ऐसी घोषणा करने वाले नारायण राणे पहले ऐसे नेता नहीं थे, ठीक उसी दिन एक और कांग्रेस नेता निलेश राणे ने सक्रिय राजनीति से रिटायर होने का फैसला किया है.”

जानें कैसा रहा सियासी कैरियर

साल 1971 में शरद पवार के कहने पर अपनी पुलिस इंस्पेक्टर की नौकरी से इस्तीफा देकर सुशील कुमार शिंदे ने राजनीति में पहली बार कदम रखा था और फिर उन्होने कभी मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद 15वीं लोकसभा के कार्यकाल में सुशील कुमार शिंदे ने कई महत्वपूर्ण पद संभाले। वे पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गए और राज्यमंत्री से लेकर वित्तमंत्री और मुख्यमंत्री तक हर पद पर रहे। एक बार उन्होंने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भी कमान संभाली थी।

इसके साथ ही साल 2004 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार आई तो सुशील कुमार शिंदे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किए गए। लेकिन एक साल के भीतर ही उन्होंने यह पद भी छोड़ दिया। इसके बाद वे 2006 में एक बार फिर राज्यसभा के सदस्य बने और फिर ऊर्जा मंत्री बनाए गए। 2009 में जीत मिलने के बाद वे दूसरी बार फिर ऊर्जा मंत्री बनाए गए। और 31 जुलाई, 2012 को उन्हें गृहमंत्री का पद दिया गया।

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शिंदे के बाद ये संभालेंगी सियासत की कमान

राजनीति से संयास लेने के साथ ही सुशील शिंदे में महाराष्ट्र सियासत की कमान 42 वर्षीय अपनी बेटी प्रणिति शिंदे को सौंप दी है, प्रणिति शिंदे सोलापुर से तीन बार विधायक रहने के साथ ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की विशेष आमंत्रित सदस्य भी है। इसके साथ ही प्रणिति शिंदे ने विश्वास जताया है कि, इस बार चाहे कुछ भी हो जाए सोलापुर का सांसद कांग्रेस का ही होगा। वही बात करें अगर सोलापुर विधानसभा सीट की तो, वर्तमान समय में इस सीट पर भाजपा नेता डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य सांसद हैं।साल 2019 के चुनाव में डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य ने शिंदे को चुनाव हरा दिया था, उस समय ही शिंदे ने कहा दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है लेकिन प्रकाश अंबेडकर और बीजेपी से डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य मैदान में थे, इसलिए सुशील कुमार शिंदे वह चुनाव नहीं जीत सके।

 

 

 

 

 

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