इन महिला IAS अफसरों का अनोखा है काम करने का अंदाज

0

अगर मन में कुछ अलग करने की इच्छा हो और हाथों में शासन की बागडोर तो, कुछ भी असंभव नहीं है। छत्तीसगढ़ के 8 जिलों की कमान महिला आईएएस के हाथों में है। ये महिलाएं युवा ब्यूरोक्रेट्स तो हैं ही, लोगों के लिए कुछ करने की खातिर एक अलग किरदार भी निभा रही हैं। इस राज्य में इन अधिकारियों के काम करने के अंदाज और सोच की तूती बोलती है।

डॉ. प्रियंका शुक्ला

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में लड़कों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम लड़कियां शिक्षित हो पाती हैं। सरकारी स्कूल में लड़कियों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए डीएम ने ‘यशस्वी जशपुर’ प्रोजेक्ट की शुरुआत करवाई। इस प्रोजेक्ट में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूल शिक्षा के तौर पर बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। प्रियंका गांव वालों की समस्या उन्हीं के बीच जमीन पर बैठकर सुनती हैं। इसके अलावा जिले के 10वीं और 12वीं के बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए जिला हेडक्वार्टर में उनके रहने और पढ़ने के इंतजाम किए गए हैं। बच्चे गुणा-भाग आसानी से कर सकें, इसके लिए टीचर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। स्वच्छता और हर घर में टॉयलेट के लिए कार्य प्रगति पर है।

कलेक्टर शम्मी आबिदी

shammi 600x300

कांकेर जिले में इंग्लिश, साइंस और गणित के टीचर्स की कमी के चलते जिलाधिकारी शम्मी आबिदी ने सितंबर 2015 में ‘प्रज्ञा प्रोजेक्ट’ की शुरुआत की। इस प्रोजेक्ट में जिन स्कूल्स में टीर्चस की कमी थी, वहां वीडियो रिकार्डिंग और प्रोजेक्टर के जरिए छात्रों को पढ़ाया गया। जहां टीचर्स मौजूद है, वहां की रिकॉर्डिंग यहां चलाई जाती है। आज 115 जिलों में वीडियो रिकॉर्डिंग की मदद से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसका असर ये रहा है कि इस साल 12वीं का रिजल्ट 68% से 84% हो गया है। अब सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरे राज्य में लागू करने की तैयारी कर रही है।

DM अलरमेल मंगई डी

d 600x300

रायगढ़ में पिछले साल तक चोरी-छिपे कन्या भ्रण पहचान करवाने के मामले सामने आ रहे थे। इसे रोकने के लिए यहां की कलेक्टर अलरमेल मंगई डी ने पहली बार सोनोग्राफी सेंटर में ऑनलाइन एक्टिव ट्रैकर लगवाए। ये ट्रैकर जिले के सभी 23 सोनोग्राफी सेंटर्स से जुड़े हैं, जिस पर कलेक्टर खुद अपने लैपटॉप और मोबाइल के जरिए नजर रखती हैं। जिले में पिछले एक साल के दौरान कन्या जन्म की दर में बढ़ोत्तरी हुई है। 2011 में ये आंकड़ा 1000 लड़कों के मुकाबले 918 लड़कियां होती थीं। अब 2015-16 में ये आंकड़ा 933 पहुंच गया है। गर्भवती महिलाओं की निरंतर जांच और देख-रेख के लिए हेल्थ एवं महिला बाल विकास की टीम काम कर रही है।

कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी

shikha tiwari 600x300

कोंडागांव जिले की ये कलेक्टर अपने निवास पर छह साल तक के बच्चों के लिए अनोखी क्लास चला रही हैं। इस क्लास में बच्चों को कार्टून और वीडियो की मदद से पढ़ाती और सिखाती हैं। यहां हुनर को बढ़ावा भी दिया जाता है और पेंटिंग भी सिखाई जाती है। सरकारी स्कूल में पढ़ाई के लेवल को सुधारने के लिए जिले के 151 अफसरों ने एक-एक स्कूल गोद लिया है। कुपोषण से बचाव के लिए जिलाधिकारी ने ‘द्वार-जोहार’ योजना की शुरुआत की। इसमें कलेक्टर समेत हेल्थ, महिला बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के लोग हर गांव और घर जाकर कुपोषित परिवार की काउंसलिंग करते हैं।

जिलाधिकारी किरण कौशल

KIRAN 600X300

बिलासपुर के पास मुंगेली जिले में हॉस्पिटल के बाहर 59% डिलीवरी होती हैं, जिसमें कुछ नवजात और प्रेग्नेंट महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। डेढ़ महीने पहले कलेक्टर की जिम्मेदारी संभालने आईं किरण कौशल ने आते ही ‘मातृ जीवन रक्षा’ अभियान चलाया। इस अभियान में प्रेग्नेंट औरत को अस्पताल तक पहुंचाने से लेकर उनकी देखभाल और बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रखी जाती है। आंकड़ों के मुताबिक इस जिले में प्रति एक हजार बच्चों में शिशु मृत्यु दर 38 है, तो एक लाख प्रेग्नेंट महिलाओं में 261 महिला मृत्यु दर है। इस दर को कम करने के लिए ये अभियान चलाया जा रहा है। इसमें इलाज और दवा भी मुहैया कराया जा रहा है। पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए हर हफ्ते की पढ़ाई का रिकॉर्ड रखा जा रहा हैं। हर महीने के आखिरी शनिवार को कलेक्टर खुद 9वीं से 12वीं तक के बच्चों की परीक्षा लेंगी।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More