प्रेरणा: जैविक अरहर से किसान आकाश ले रहा हर वर्ष दस लाख रुपये लाभ
प्रिंसी साहू
किसान खेतों में पूरे साल फसल बोते हैं औऱ फिर उसे काटते हैं, इन सब में अच्छी-खासी मेहनत औऱ समय लग जाता है। लेकिन, एक किसान ने ऐसी किस्म ईजाद की है जिसमें अरहर की दाल की फसल साल में दो बार मिलती है। सागर(मध्यप्रदेश) के किसान आकाश चौरासिया का कहना है कि इस किस्म से फसल को एक बार बोने से वो पांच साल तक चलती है।
बुंदेलखंड के लिए तो ये फसल किसी वरदान से कम नहीं है। मजे की बात यह कि एक एकड़ में दाल से साल भर में पांच से दस लाख रुपये तक का लाभ होता है। यही नहीं आकाश जैविक खेती के द्वारा इस अरहर को उगाते हैं। इससे खेत की उर्वरता बनी रहती है।
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इसके लिए इनको कई इनाम भी मिल चुके हैँ। आकाश ने अन्य किसानों का काम आसान कर दिया है। आकाश की सबसे अच्छी बात यह है कि, खेती का बहुत कम सामान वो बाहर से खरीदते हैं। खाद, बीज, कीट नियंत्रण की दवा आदि वे स्वयं ही तैयार करते हैं, जिसे आम किसान भी तैयार कर सकता है। केवल 27 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने अब तक पचास हजार एकड़ में, पूरे भारत वर्ष में इस विधा से खेती कराई है।
इस तरह से ये अब तक 22000 गड्ढे बनवा चुके हैं
इसके साथ ही ये एक एकड़ में केवल 10×10×10 के गड्ढे से ही 10 लाख लीटर भूजल रिचार्ज केवल 3 महीने की बारिश में ही करते हैं। इस तरह से ये अब तक 22000 गड्ढे बनवा चुके हैं। केवल एक साल में सागर जैसे बुंदेलखंड क्षेत्र में भूजल के स्तर को 500 फिट से उठाकर 250 फिट किया गया है। इसके अतिरिक्त आकाश देशी-बीज-बैंक पर भी काफी काम कर रहे हैं, क्योंकि जैविक खेती में देशी बीज ही अच्छे नतीजे देते हैं।
लेकिन उन्होंने उसे छोड़कर इस कठिन राह को पकड़ा है
उनके इन सभी कामों के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।वैज्ञानिक कहते हैं कि आकाश जैसे लोग ही आने वाले समय में भारत वर्ष को विश्व-गुरु बनाने में महती योगदान करेंगे। उल्लेखनीय है कि आकाश का सिलेक्शन मेडिकल में हो गया था, लेकिन उन्होंने उसे छोड़कर इस कठिन राह को पकड़ा है।
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