Fali S Nariman: सुप्रीम कोर्ट के प्रख्यात वरिष्ठ वकील एस नरीमन का निधन

पीएम मोदी समेत इन नेताओं ने जताया शोक

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Fali S Nariman: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात न्यायविद् फली एस. नरीमन का बुधवार को निधन हो गया है. 95 वर्षीय नरीमन ने नई दिल्ली में अंतिम सांस ली. नरीमन के जीवन का कानूनी सफर नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील के रूप में नामांकन से शुरू हुआ था. इसके बाद दिल्ली जाने के पूर्व तक तकरीबन 70 से अधिक वर्षों तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की थी. यहीं से वे एक वकील के रूप में लोकप्रिय हुए. साल 1961 में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते समय उनकी कानूनी क्षमता ने उन्हें वरिष्ठ वकील का सम्मानित पदनाम दिलाया.

पीएम मोदी ने जताया शोक

बुधवार को फली नरीमन के मौत की खबर सामने आने के बाद अधिवक्ता जगत और राजनीति जगत में शोक की लहर दौड़ गयी. ऐसे में नरीमन के निधन पर पीएम मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट में लिखा है कि, ” नरीमन सबसे उत्कृष्ट कानूनी विद्धान और बुद्धिजीवियों में से एक थे. उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों के लिए न्याय को सुलभ बनाने के लिए समर्पित कर दिया. उनके निधन से मुझे दुख हुआ है. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं, उनकी आत्मा को शांति मिले.”

अभिषेक मनु सिंघवी

पीएम मोदी के अलावा कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी नरीमन के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने भी एक्स पर पोस्ट में लिखा है कि, ” एक युग का अंत हुआ है. फ़ाली नरीमन अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. वे हमारे दिलों में हमेशा बसे रहेंगे. ”

कौन थे एस नरीमन?

10 जनवरी 1929 को म्यांमार में जन्मे फली एस. नरीमन का शुरूआती जीवन मुंबई में ही गुजरा. उन्हें सरकारी कानून कॉलेज और मुंबई विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल की थी. 1950 में लॉ में डिग्री हासिल करने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील के तौर पर करियर शुरू किया. उन्हें हाई कोर्ट में रजिस्ट्रेशन होने के मात्र 11 साल बाद वरिष्ठ अधिवक्ता का पद मिल गया, जो उनकी प्रतिभा का अंदाजा देता है.

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नरीमन को नागरिकों की स्वतंत्रता के पक्षधर के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि वह संवैधानिक मामलों को खासे जानकार थे. 1972 से वह मुंबई से नई दिल्ली आकर सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे थे. 1972 में इंदिरा सरकार ने उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया. शानदार करियर के दौरान, नरीमन को मई 1972 में भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया. उन्हें 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था.

 

 

 

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