जानें, देश की खुफिया एजेंसी ‘RAW’ से जुड़ी रोचक बातें

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सभी देशों में अपनी अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत सी खुफिया एजेंसिया होती है जो बाहरी किसी भी हमले और आंतक से जुड़ी सुचनाएं मुहैया कराती हैं साथ ही खुद भी उन हमलों से देश की सुरक्षा करती हैं। सब देशो की ये खुफिया एजेंसी बहुत ही ईमानदारी के साथ काम करती है। आप अक्सर फिल्मों में देखते हैं कि खुफिया एजेंसी किस तरह से अपने ऑपरेशन को अंजाम देती है। जिसके लिए कभी-कभी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन इस खुफिया एजेंसी से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं दो शायद आप ना भी जानते होंगे। चलिए आज हम आपको बताते हैं भारत की खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां।

कब हुआ RAW का गठन?

भारत और चाइना के बीच सन 1962 में हुए युद्ध में चाइना से शिकस्त मिलने के बाद देश में उस समय की खुफिया एजेंसियों की पोल खोल कर रख दी। चाइना से युद्ध हारने के 3 साल बाद भारत को पाकिस्तान के किलाफ मोर्चा कोलना पड़ा जिसका नतीजा युद्ध तक पहुंच गया। इन युद्धों से सरकार को एक बात समझ में आ गई थी कि अब एक ऐसी रुफिया एजेंसी की जरुरत है जो देश की सुरक्षा को एक अभेद कवच दे सके।

मलतब किसी भी तरह के हमले से देश को बचाया जा सके। इसी के मद्देनज़र इंदिरा गांधी की सरकार में 21 सितंबर 1968 को RAW का गठन हुआ। RAW के पहले डायरेक्टर का कार्यभार रामेश्वर नाथ काओ के हाथों में सौंपा गया, जिन्होंने अपने 9 साल के कार्यकाल में सिक्किम को भारत का अभिन्न अंग बनाने के साथ ही 1971 में पाकिस्तान को हरा कर बांग्लादेश की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

एक स्वतंत्र संस्था है खुफिया एजेंसी RAW

रॉ असल में कोई संस्था नहीं बल्कि एक विंग है, जो सीधा प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट भेजती है। इसके डायरेक्टर का चुनाव, सेक्रेटरी(रिसर्च) द्वारा होता है। देश की सुरक्षा का मामला होने की वजह से RTI डालना यहां व्यर्थ है।

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कई सीक्रेट मिशन को अंजाम दे चुका है RAW

रॉ सिर्फ देश के लिए गुप्त सूचनाओं को ही नहीं लाता बल्कि पड़ोसी देशों से शांति व्य्वस्था बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। 18 मई 1974 जब राजस्थान के पोखरण में भारत ने अपना पहला परमाणु प्रयोग किया था।

दुश्मनों की साजिश भी नाकाम कर चुका है RAW

RAW द्वारा चलाया गया मिशन गंगा, जिसमें रॉ का मकसद पाकिस्तानी विमानों को भारतीय सीमा से बाहर रखना था। आप को बता दें कि इस मिशन के तहत ही 1971 में हाइजैक हुआ इंडियन एयरलाइंस का विमान रॉ द्वारा चलाया गया अभियान था।

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