विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 15वीं बिमस्टेक मंत्रीस्तरीय बैठक में शामिल होने के लिए गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर काठमांडू पहुंचीं। सुषमा, नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के 23 अगस्त के प्रस्तावित भारत दौरे से पहले काठमांडू दौरे पर पहुंची हैं।
मधेसी नेताओं से भी मुलाकात करेंगी
सुषमा ‘बे ऑफ बंगाल इनिशियेटिव फॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्निकल एंड इकॉनॉमिक कोओपरेशन’ (बिम्सटेक) की बैठक में शामिल होने के अलावा देउबा, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, विपक्ष के नेता के. पी. ओली, माओवादी नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और मधेसी नेताओं से भी मुलाकात करेंगी। बिम्सटेक का मुख्य उद्देश्य बंगाल की खाड़ी से लगे दक्षिण एशियाई और दक्षिणपूर्व देशों के बीच आर्थिक सहयोग है।
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क्योंकि पाकिस्तान के असहयोग के कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) अप्रभावी हो चुका है और भारत हाल के दिनों में बिम्सटेक को ज्यादा महत्व दे रहा है। बागले ने कहा, ‘इस साल बिम्सटेक की 20वीं वर्षगांठ है और पिछले साल अक्टूबर में भारत ने गोवा में इसकी मेजबानी की थी, उसके बाद से इसमें एक नई गति देखी जा रही है।’
इसका निर्माण आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए किया गया है
इसमें बांग्लादेश, भारत, म्यामांर, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं यह दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है और इसका निर्माण आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए किया गया है। यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी देशों के बीच ब्रिज की तरह काम करता है।इस समूह में दो देश दक्षिणपूर्वी एशिया के हैं। म्यांमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण पूर्वी इलाकों से जोड़ने के लिए बेहद अहम है। इससे भारत में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। भारत और म्यांमार के बीच हाईवे का प्रोजेक्ट भारत की पूर्व एशिया की नीति को मज़बूती देता है।
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