बेटे ने दी अपनी मां को सलामी
मादा हाथी पुष्पाकली की मौत पर दुधवा नेशनल पार्क का हर शख्स दुखी है, लेकिन उसके 18 वर्षीय बेटे बटालिक का गम सबसे जुदा है। मंगलवार को जब पुष्पाकली को दुधवा के स्टाफ ने अंतिम विदाई दी तो बटालिक मां को सलामी देने के बाद काफी देर तक गमगीन बैठा रहा। पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय और दुर्गम जंगलों के बीच कांबिंग आपरेशन में माहिर पुष्पा का सोमवार को 86 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया था।
लेकिन उसके 18 वर्षीय बेटे बटालिक का गम सबसे जुदा है
पुष्पा की तरह ही बटालिक भी सबका प्रिय है, उसका जन्म करगिल युद्ध के दौरान तब हुआ, जब भारतीय सेना ने बटालिक चोटी पर फतेह पाई थी। तभी से उसका नाम बटालिक पड़ गया ’ धर्मेश शुक्लामादा हाथी पुष्पाकली की मौत पर दुधवा नेशनल पार्क का हर शख्स दुखी है, लेकिन उसके 18 वर्षीय बेटे बटालिक का गम सबसे जुदा है।
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मंगलवार को जब पुष्पाकली को दुधवा के स्टाफ ने अंतिम विदाई दी तो बटालिक मां को सलामी देने के बाद काफी देर तक गमगीन बैठा रहा। पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय और दुर्गम जंगलों के बीच कांबिंग आपरेशन में माहिर पुष्पा का सोमवार को 86 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया था। पुष्पा की तरह ही बटालिक भी सबका प्रिय है, उसका जन्म करगिल युद्ध के दौरान तब हुआ, जब भारतीय सेना ने बटालिक चोटी पर फतेह पाई थी।
जंगलों के बीच सधे पांव चलने में महारत हासिल थी
तभी से उसका नाम बटालिक पड़ गया ’ धर्मेश शुक्लापुष्पा की अद्वितीय सेवाओं के लिए रिजर्व कई कर्मियों ने सैल्यूट किया। अपने कार्यकाल में पुष्पाकली ने पर्यटकों को भरपूर सैर कराई। बिगड़ैल बाघों को काबू करने के लिए चलने वाले अभियानों में उसे दुर्गम जंगलों के बीच सधे पांव चलने में महारत हासिल थी।
(साभार- दैनिक जागरण)